गंगा नदी निर्मल और अविरल हो, प्रदूषण मुक्त किया जाए, गंगा की रक्षा का कानून बने, बांधों का निर्माण बंद हो, इन मांगों को लेकर गंगा नदी के तट पर हरिद्वार में 112 दिन से अनशन करते प्रो. जी.डी. अग्रवाल उर्फ स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद के निधन से मध्यप्रदेश का हर वर्ग दुखी और व्यथित है। राजनेताओं से लेकर सामाजिक कार्यकर्ताओं तक ने स्वामी सानंद के निधन को बड़ी क्षति करार दिया है। एकता परिषद के संस्थापक डॉ. पी.वी. राजगोपाल ने डॉ. अग्रवाल के निधन को समाज की बड़ी क्षति करार देते हुए कहा कि लोकनायक जयप्रकाश के जन्म दिवस पर डॉ. अग्रवाल दुनिया से विदा हुए हैं। जयप्रकाश ने सत्ता को जनता की ताकत का अहसास करा दिया था।
उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने को गंगा का बेटा बताया था, मगर बीते चार साल में गंगा के लिए कुछ नहीं हुआ। योजना बनी, नमामि गंगे नाम दिया गया, मगर धरातल पर कोई काम नहीं किया गया। डॉ. अग्रवाल ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखे, उन्हें उनके वादे याद दिलाए, मगर ध्यान नहीं दिया गया। आखिरकार स्वामी ने अपने प्राण की आहुति दे दी।”
‘जल जन जोड़ो’ अभियान की ओर से जारी विज्ञप्ति में स्वामी सानंद के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया गया है। इस अभियान से जुड़े कई कार्यकर्ता हरिद्वार पहुंच रहे हैं।
जलपुरुष राजेंद्र सिंह ने डॉ. अग्रवाल के निधन पर केंद्र सरकार पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा, “अग्रवाल की मांग सिर्फ गंगा नदी की खातिर थी। वही गंगा, जिसने प्रधानमंत्री को बुलाया था, ऐसा वे स्वयं कहते रहे हैं। आज गंगा का वास्तविक लाडला, हमारे बीच से चला गया।”