भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने कार्यकाल पूरा होने से छह महीना पहले ही अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। सूत्रों ने सोमवार को यह जानकारी दी। विरल आचार्य तीसरे शीर्ष अधिकारी है, जिन्होंने अपना कार्यकाल पूरा होने से पहले आरबीआई से इस्तीफा दिया है। इससे पहले इस्तीफा देने वालों में पूर्व आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन व दूसरे पूर्व गवर्नर उर्जित पटेल रहे हैं।
सूत्रों ने कहा कि आचार्य सरकार के सार्वजनिक व्यय के समर्थन में बार-बार रेपो रेट में कमी के केंद्रीय बैंक के फैसले के खिलाफ थे। इसके साथ ही वह धीमी हो रही वृद्धि दर से निपटने के लिए खपत बढ़ाने वाले उपायों के भी खिलाफ थे।
आचार्य की डिप्टी गवर्नर के तौर नियुक्ति जनवरी 2017 में हुई थी।
सूत्रों ने कहा कि आचार्य की राय में ऐसे कदम राजकोषीय व्यवस्था को जोखिम में डालने वाले हैं और वे उन निर्णयों में शामिल नहीं रहना चाहते थे।
घटनाक्रम की पुष्टि करते हुए आरबीआई ने एक बयान में कहा, “विरल वी. आचार्य ने आरबीआई को एक पत्र प्रस्तुत किया है, जिसमें बताया गया है कि अपरिहार्य व्यक्तिगत परिस्थितियों के कारण वह 23 जुलाई, 2019 के बाद आरबीआई के डिप्टी गवर्नर के रूप में अपना कार्यकाल जारी रखने में असमर्थ हैं।”
हालांकि, आचार्य ने इस संबंध में कोई बयान नहीं दिया है।
अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए आरबीआई ने जून में रेपो दर में 25 बीपीएस की कटौती करते हुए 5.75 प्रतिशत कर दिया।
आचार्य अब न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के स्टर्न स्कूल ऑफ बिजनेस में फरवरी 2020 के बजाय इसी साल अगस्त में लौट जाएंगे।
आचार्य के बाद आरबीआई में अब तीन डिप्टी गवर्नर-एन.एस. विश्वनाथन, बी.पी. कानूनगो और एम.के.जैन हैं।