आंसुओं में डूबे श्रद्धालुओं ने शुक्रवार को विजयदशमी के दिन मां दुर्गा की मूर्तियों को नदियों, तालाबों में विसर्जन कर विदाई थी। उमस भरे मौसम के बावजूद यहां गंगा और अन्य नदियों के किनारे ढोल की थाप पर देवी और उनके चार बच्चों -लक्ष्मी, सरस्वती, गणेश और कार्तिक- की मूर्तियों का विसर्जन किया गया।
महिलाओं ने सफेद और लाल साड़ियां पहन कर विर्सजन से पहले शामियानों ‘सिंदूर खेला’ की रस्म पूरी की, जिसमें एक-दूसरे के गालों पर सिंदूर लगाए जाते हैं।
इस दौरान बड़ी संख्या में लोग सेल्फी लेते दिखे। हजारों श्रद्धालुओं ने मूर्तियों का धीरे-धीरे विसर्जन किया।
ज्यादातर लोग इस दौरान पारंपरिक पोशाकों में थे और विसर्जन के दौरान ढोल की थाप पर नाच-गा रहे थे। विसर्जन के दौरान वरिष्ठ नागरिक मंजीरा बजा रहे थे, जबकि बच्चे देवी की मूर्ति पर पानी छिड़क रहे थे।
विसर्जन समारोह देवी के अपने माता-पिता के घर सालाना पड़ाव के खत्म होने का प्रतीक है और वह अपने पति भगवान शिव के निवास स्थान माउंट कैलाश पर लौट जाती हैं।