इस सदी में दुनिया की आशाएं और अपेक्षाएं हैं भारत से
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि बदलाव चाहे खुद में करना हो, या दुनिया में करना हो, वो कभी एक दिन, एक हफ्ते या एक साल में नहीं होता।
नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पंडित दीनदयाल पेट्रोलियम विश्वविद्यालय गांधीनगर के 8वें दीक्षांत समारोह में शनिवार को युवाओं से कहा कि 21वीं सदी में दुनिया की आशाएं और अपेक्षाएं भारत से हैं और भारत की आशा और अपेक्षा आपके साथ जुड़ी हैं। हमें तेज गति से चलना ही होगा, आगे बढ़ना ही होगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “आज की जो पीढ़ी है, 21वीं सदी का जो युवा है, उसको एक क्लीन स्टेट के साथ आगे बढ़ना होगा। कुछ लोंगों के मन में ये जो पत्थर की लकीर बनी हुई है, कि कुछ बदलेगा नहीं, उस लकीर को क्लीन करना होगा। और क्लीन हर्ट का मतलब साफ नीयत।”
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “आप देखिए जीवन में वही लोग सफल होते है, वही लोग कुछ कर दिखाते है जिनके जीवन में सेन्स ऑफ रेस्पांसबिलिटी का भाव होता है। विफल वो होते है जो सेंस ऑफ बर्डन में जीते है। सेंस ऑफ रेस्पांसबिलिटी का भाव व्यक्ति के जीवन में सेंस ऑफ अपार्चुनिटी को भी जन्म देता है।”
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि बदलाव चाहे खुद में करना हो, या दुनिया में करना हो, वो कभी एक दिन, एक हफ्ते या एक साल में नहीं होता। बदलाव के लिए थोड़ा-थोड़ा प्रयास नियमित करना होता। नियमित होकर किए गए छोटे-छोटे काम बड़ा बदलाव ला सकते हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने युवाओं को सीख देते हुए कहा कि इच्छाओं के अंबार से संकल्प की शक्ति अपरंपार होती है। करने के लिए बहुत कुछ है, देश लिए पाने को बहुत कुछ है, पर आपके लक्ष्य टुकड़ों में बिखरे नहीं होने चाहिए। आप कमिटमेंट के साथ आगे बढ़ेंगे तो अपने भीतर ऊर्जा का भंडार महसूस करेंगे।