महाराष्ट्र के पालघर के विरार कस्बे से सोमवार को दो राजस्थानी महिलाओं को कथित रूप से ‘दहेज की रकम की वसूली के लिए’ बेचे जाने की सनसनीखेज घटना सामने आई। मामले की जांच अधिकारी लक्ष्मी बोरकर ने आईएएनएस को बताया कि सामाजिक कार्यकर्ताओं के लगातार प्रयास के बाद विरार पुलिस ने नौ अक्टूबर को एक चार्टेड अकाउंटेंट व एक व्यापारी समेत एक दर्जन लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। इनमें आरोपियों के परिवार के सदस्य व अन्य सहायक भी शामिल हैं।
शिकायत के मुताबिक, राजस्थान की रहने वाली 20 साल की उम्र की दो बहनों की शादी 10 मार्च 2015 को विरार के एक व्यापारी संजय रावल और सीए वरुण रावल से हुई थी। दोनों भाई हैं।
शादी के छह महीने बाद रावल बंधुओं और उनके परिवार के सदस्यों ने दोनों बहनों को दहेज के लिए प्रताड़ित करना शुरू कर दिया क्योंकि संजय और वरुण नए व्यवसाय की शुरुआत के लिए दुकान खरीदना चाहते थे।
किसी तरह महिलाओं के परिवार ने पांच लाख रुपये जुटाए और रावल बंधुओं को दे दिए। लेकिन, बाद में रावल परिवार ने चार लाख रुपये की और मांग की।
दोनों महिलाओं ने कहा कि उनके मध्यम वर्ग के परिवार के लिए इतनी बड़ी रकम फिर से जुटाना संभव नहीं है, लेकिन उनकी बात को अनसुना कर दिया गया।
आरोप है कि दोनों बहनों को उनके पतियों व रावल परिवार के सदस्यों द्वारा शारीरिक और मानसिक रूप से यातनाएं दी गईं।
30 अगस्त को रावल परिवार दोनों महिलाओं को लेकर राजस्थान के सिरोही जिले में पिंडवाड़ा कस्बे के एक गांव में पहुंचा और उन्हें कैद में रखा।
10 दिनों तक कुछ रिश्तेदारों समेत कई पुरुष वहां गए और दोनों बहनों को शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया और फिर उन्हें वापस रावल परिवार के पास जाने का आदेश दिया।
उन्होंने एक अज्ञात व्यक्ति को दोनों बहनों के साथ विरार के लिए रवाना कर दिया लेकिन जब ट्रेन वसई पर रुकी तो उनके साथ गए आदमी ने उनके बैग अपने पास रख लिए और उन्हें उतरने से रोका और कहा कि पास के थाणे जिले के मीरा रोड पर उन्हें उतरना होगा।
इस पर उस आदमी की महिलाओं से कहा सुनी हो गई। ट्रेन में मौजूद यात्रियों के सामने यह सब कुछ हुआ।
महिलाओं के साथ आया पुरुष चिल्ला रहा था कि ‘उसने दोनों महिलाओं के लिए डेढ़ लाख रुपये दिए हैं और वह उन्हें छोड़ने से पहले पूरी राशि वसूलेगा।’
परेशान बहनों के लिए भाग्यवश कुछ सह यात्रियों ने हस्तक्षेप किया और ट्रेन के रवाना होने से पहले उन्हें वसई पर उतरवाया।
दोनों बहनें सुमन कॉम्पलेक्स स्थित घर लौटीं और पड़ोसियों को अपनी दुखभरी कहानी सुनाई।
कुछ पड़ोसी रावल परिवार के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने के लिए बहनों को साथ थाने पहुंचे लेकिन कहा जा रहा है कि एक महीने तक पुलिस मामले से बचती रही।
इसके बाद कुछ पड़ोसी और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने पुलिस के शीर्ष अधिकारियों से संपर्क किया और आखिरकार नौ अक्टूबर को 12 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया।
बोरकर ने कहा कि जांच जारी है हालांकि कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि भारतीय दंड संहिता की कड़ी धाराओं में आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।
सूत्रों ने खुलासा किया है मुख्य आरोपी संजय और वरुण कथित रूप से भूमिगत हो गए हैं।