दिल्ली के सीमावर्ती इलाकों में उमड़ी हजारों श्रमिकों की भीड़ को देखते हुए अब हरियाणा में 70,000 लोगों की क्षमता वाले राहत शिविर स्थापित किए गए हैं। दिल्ली, हरियाणा, पंजाब समेत विभिन्न राज्य ऐसे ही शिविर स्थापित करके श्रमिकों के रहने खाने की अस्थाई व्यवस्था कर रहे हैं। ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि श्रमिकों का पलायन न हो और कोरोनावायरस की रोकथाम के लिए घोषित किए गए लॉक डाउन को सफल बनाया जा सके।
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा, “प्रवासी मजदूरों और बेघर लोगों को भोजन और आश्रय की सुविधा मुहैया करवाने के उद्देश्य सेए प्रदेश में 70,000 लोगों की क्षमता के 467 राहत शिविर स्थापित किए गए हैं। इस समय 10,000 से अधिक लोगों को इन शिविरों में रखा गया है और उन्हें पर्याप्त भोजन तथा अन्य आवश्यक सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं।”
मुख्यमंत्री ने कहा, “प्रदेश में गुलाबी, पीले और खाकी राशन कार्ड धारकों को अप्रैल माह का राशन मुफ्त उपलब्ध करवाया जा रहा है। इससे 27 लाख से अधिक लाभार्थी लाभान्वित होंगे और इस पर 48 करोड़ रुपये खर्च होंगे।”
उन्होंने कहा, “इन परिवारों को 5 अप्रैल तक राशन वितरित किया जाएगा। जिन गरीब या प्रवासी मजदूरों के पास राशन कार्ड नहीं हैं, उन्हें पैक्ड राशन वितरित किया जा रहा है ताकि लॉकडाउन अवधि के दौरान उन्हें किसी भी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े। इसके अतिरिक्त खास तौर पर शहरों में झुग्गियों में रहने वाले गरीबों को भोजन के पैकेट वितरित किए जा रहे हैं।”
गौरतलब है कि बुधवार से दिल्ली सरकार ने भी दिल्ली में 10 से 12 लाख लोगों को निशुल्क भोजन मुहैया कराने की मुहिम शुरू की है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा “बड़ी संख्या में लोगों को निशुल्क भोजन मुहैया कराने के लिए 2500 स्कूलों और 250 शेल्टर होम में गरीबए मजदूरए श्रमिकों को निशुल्क भोजन मुहैया कराया जाएगा। दिल्ली सरकार प्रत्येक स्कूल में लगभग 500 लोगों को निशुल्क भोजन कराएगी।”
वहीं कोरोनावायरस महामारी से लड़ने के लिए स्थापित हरियाणा के कोरोना रिलीफ फंड में अब तक 3000 से अधिक लोगों ने लगभग 21 करोड़ रुपये का योगदान दिया है। इसके अलावा, बड़ी संख्या में लोगों ने इस फंड में योगदान देने के लिए फोन के माध्यम से भी अपनी इच्छा जाहिर की है।