तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के. पलानीस्वामी ने रविवार को कहा कि राज्य के विभिन्न जिलों में दो दिन पहले आए चक्रवाती तूफान गज में मरने वालों की संख्या बढ़कर 45 हो गई है तथा 1,17,624 घर क्षतिग्रस्त हो गए हैं। विपक्ष के नेताओं ने यह कहते हुए उनके बयान की आलोचना की है कि सरकार की उदासीनता के कारण चक्रवात से प्रभावित क्षेत्रों में भोजन, पेयजल और अन्य राहत सामग्री नहीं पहुंचने से हालात भयावह हो गए हैं।
पुडुकोट्टाई जिले में लोगों ने राहत सामग्री नहीं मिलने की शिकायत करते हुए सड़कों पर प्रदर्शन किया। इस दौरान उन्होंने सरकारी वाहनों में आग लगा दी।
पलानीस्वामी ने यहां से लगभग 350 किलोमीटर दूर सलेम में संवाददाताओं से बात करते हुए कहा कि चक्रवात में 45 लोगों की मौत हो गई और लगभग 735 मवेशी लापता हो गए हैं।
उन्होंने आगे कहा कि चक्रवात में 88,102 हैक्टेयर फसल और बिजली के 39,938 खंभे भी नष्ट हो गए हैं।
केंद्र सरकार से नुकसान के आकलन के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन के एक दल को भी भेजने के लिए कहा गया है।
हेलीकॉप्टरों से राहत सामग्री गिराने के सवाल पर उन्होंने कहा कि सड़कों पर गिरे पेड़ों को हटाने का काम रविवार तक पूरा हो जाएगा।
पलानीस्वामी ने कहा कि वे मंगलवार को प्रभावित इलाकों का दौरा करेंगे।
द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (द्रमुक) अध्यक्ष एम.के. स्टालिन ने पार्टी कार्यकर्ताओं को लिखे एक पत्र में आश्चर्य जताया कि पलानीस्वामी का हृदय क्या लोहे का बना है जो वे चक्रवात से प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने की अपेक्षा परियोजनाओं का उद्घाटन करने में ज्यादा रुचि लेते दिख रहे हैं।
इलाकों का दौरा कर चुके स्टालिन ने सरकार पर राहत शिविरों में लोगों को पर्याप्त भोजन, कपड़े और पेयजल उपलब्ध कराने में असफल होने का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा कि सरकार ने क्या सिर्फ नहरों या अन्य जल निकायों की खुदाई की है, बहुत सारे नुकसान को टाला जा सकता था और कई पेड़ों को बचाया जा सकता था।
पी.एम.के. संस्थापक एस. रामदोस ने कहा कि शर्म की बात है कि अन्ना द्रमुक सरकार चक्रवात प्रभावित लोगों को भोजन तक उपलब्ध नहीं करा रही है।
उन्होंने कहा कि तंजावुर, नागापट्टीनम और तिरुवरुर जैसे कावेरी डेल्टा क्षेत्र के कई जिले चक्रवात से बुरी तरह प्रभावित हैं।