केरल की दो महिलाओं द्वारा सबरीमाला मंदिर में दर्शन-पूजन का दावा करने के बाद बुधवार को ‘शुद्धिकरण’ के लिए मंदिर बंद कर दिया गया है। ये महिलाएं उसी आयु वर्ग की हैं, जिस पर अबतक प्रतिबंध रहा है। हालांकि, सर्वोच्च न्यायालय ने पिछले साल 28 सितंबर को 10-50 वर्ष आयु वर्ग की महिलाओं के मंदिर प्रवेश पर लगी रोक हटा दिया है, लेकिन इसके बावजूद कुछ संगठनों द्वारा न्यायालय के इस फैसले का विरोध किया जा रहा है।
बिंदू और कनक दुर्गा नामक महिलाओं ने तड़के सादे कपड़े पहने पुलिसकर्मियों के संरक्षण में मंदिर में दर्शन किए, जिस पर विपक्षी दलों ने कड़ी नाराजगी जताई है।
केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने इसकी पुष्टि की है।
उन्होंने तिरुवनंतपुरम में कहा, “हां, यह सच है, महिलाओं ने मंदिर में दर्शन किए हैं।”
यह खबर फैलते ही, मुख्य पुजारी और मंदिर तंत्री ने एक बैठक की और पंडालम शाही परिवार के साथ भी मुलाकात की और मंदिर को ‘शुद्धिकरण’ के लिए बंद करने का फैसला किया।
तंत्री कंतारारु राजीवेरु ने कहा कि मंदिर को पूर्वाह्न 10.30 बजे के आसपास बंद कर दिया गया और एक घंटे बाद खोल दिया गया।
बिंदू और कनक दुर्गा नामक दो महिलाओं ने कहा कि उन्होंने तड़के 3.30 बजे मंदिर में दर्शन किए।
इससे पहले, 24 दिसंबर को दोनों ने दर्शन करने की कोशिश की थी, लेकिन 10 साल की लड़की से लेकर 50 वर्ष की महिलाओं के प्रवेश करने का विरोध करने वाले पुरुष भक्तों ने दोनों को मंदिर में प्रवेश नहीं करने दिया था।
फोन पर मीडिया से बातचीत में बिंदू ने कहा कि वह दुर्गा के साथ देर रात करीब 1.30 बजे पंबा आधार शिविर पहुंची और कुछ पुलिस अधिकारियों के साथ सादे कपड़ों में मंदिर मार्ग पर ऊपर गई।
बिंदू ने कहा, “सरकार ने हमें हर तरह की मदद का आश्वासन दिया था। हम आधार शिविर और मंदिर मार्ग पहुंचे और तड़के 3.30 बजे दर्शन किए।”
बिंदू ने कहा, “हमें कोई समस्या नहीं हुई। कुछ छिटपुट विरोध हुए, लेकिन और कोई दिक्कत नहीं हुई।”
इससे पहले मंदिर तंत्री परिवार के एक सदस्य राहुल ईश्वर ने कहा था कि अगर परंपरा का उल्लंघन हुआ है, तो फिर “शुद्धिकरण अनुष्ठान किया जाएगा।” उन्होंने महिलाओं के प्रवेश को दुर्भाग्यपूर्ण बताया।
उद्योग मंत्री ई.पी. जयराजन ने कहा कि मंदिर को बंद करने का तंत्री को कोई अधिकार नहीं है।
जयराजन ने कहा, “यह न्यायपालिका को चुनौती है। सरकार ने सिर्फ सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश का पालन करने में अपनी भूमिका निभाई।”
उन्होंने कहा, “यह महिलाओं के अधिकारों की जीत है। महिलाओं ने सबरीमाला मंदिर में पहले भी प्रवेश किया है।”
कांग्रेस नेता रमेश चेन्निथला ने वामपंथी सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया। उन्होंेने कहा, “विजयन को इसके लिए भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।”
एक अन्य कांग्रेस नेता के. सुधाकरन ने विजयन को ‘फासीवादी’ बताते हुए कहा कि मंदिर में प्रवेश करने वाली दोनों महिलाएं उनकी ‘कठपुतलियां’ थीं।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) की राज्य इकाई के सचिव कोदियेरी बालाकृष्णन ने कहा कि मंदिर को बंद करने का कोई कारण नहीं है।
नायर सर्विस सोसाइटी के महासचिव सुकुमारन नायर ने मंदिर के पुजारियों को ‘मंदिर बंद करने’ के लिए धन्यवाद दिया।
भाजपा के प्रदेश महासचिव एम.टी. रमेश ने कहा कि मंदिर की परंपराओं का उल्लंघन करने के लिए विजयन को भारी कीमत चुकानी होगी।
भाजपा कार्यकर्ताओं ने देवासम (मंदिर) के सामने उस समय विरोध प्रदर्शन किया, जब मंत्री कंदकप्पली सुरेंद्रन गुरुवयुर में एक कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे।
इसी तरह का विरोध तब हुआ जब स्वास्थ्य मंत्री के.के. शैलजा अपने गृह जनपद कन्नूर में एक कार्यक्रम में शामिल होने आईं।