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जांच और जागरूकता ही है कैंसर के खिलाफ अचूक हथियार

नई तकनीकों से कैंसर के इलाज में क्रांतिकारी बदलाव आया है

पर्यावरण की सुरक्षा करना और स्वास्थ्यप्रद यानी हेल्दी लाइफस्टाइल को अपनाकर कैंसर से बचाव में मदद मिल सकती है। अगर समय पर जांच हो जाए और पर्याप्त इलाज मिले तो बच्चों और बड़ों दोनों में कैंसर इलाज से ठीक हो सकने वाली बीमारी है। कैंसर के इलाज में नई तकनीकों पर बात करते हुए नई दिल्ली स्थित राजीव गांधी कैंसर इंस्टीट्यूट एंड रिसर्च सेंटर (आरजीसीआईआरसी) के हेड एंड नेक (सिर एवं गला) सर्जिकल ओंकोलॉजी के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. मुदित अग्रवाल ने कहा, “रोबोटिक सर्जरी जैसी नई तकनीकों से कैंसर के इलाज में क्रांतिकारी बदलाव आया है, क्योंकि रोबोट ऐसे किसी भी हिस्से में बने ट्यूमर तक पहुंच सकता है, जहां इलाज के पारंपरिक तरीके में पहुंचना मुश्किल है। इससे अंगों की हिफाजत करना संभव होता है। रोबोटिक सर्जरी में सर्जन को 10 गुना बड़ा 3डी व्यू दिखता है, जिससे गलती की आशंका कम होती है और ज्यादा सटीक तरीके से इलाज हो पाता है। इससे मरीज की जल्दी रिकवरी में मदद मिलती है।”

डॉ. मुदित अग्रवाल ने बताया, “कैंसर के इलाज के दौरान अंगों का खराब हो जाना या दाग पड़ जाना सामान्य बात होती थी, लेकिन रोबोटिक सर्जरी ने अंगों को सुरक्षित बनाए रखने में बड़ी भूमिका निभाई है। इससे न केवल मरीज का बेहतर इलाज होता है, बल्कि प्रभावित अंग भी सुचारू तरीके से काम करते रह पाते हैं।”

उन्होंने कहा, “उदाहरण के तौर पर थायरॉयड कैंसर के इलाज में दाग पड़ जाता है। रोबोटिक सर्जरी के जरिये हम अंग में किसी भी तरह की खराबी और दाग से मरीज को बचा सकते हैं। विशेष तौर पर युवाओं के लिए यह काफी महत्वपूर्ण होता है। आरजीसीआईआरसी भारत का एकमात्र संस्थान है, जहां हेड एंड नेक सर्जरी के लिए तीन रोबोट हैं।”

आरजीसीआईआरसी के मेडिकल ओंकोलॉजी डायरेक्टर डॉ. विनीत तलवार ने कहा, “एक हेल्दी लाइफस्टाइल कैंसर से बचाव में मददगार हो सकती है। मोटापा, बैठे रहने वाली लाइफस्टाइल, रेड मीट जैसे कम रेशे वाले आहार अलग-अलग प्रकार के कैंसर का खतरा बढ़ा रहे हैं। इसके साथ धूम्रपान, वायु प्रदूषण, डीजल का धुआं कैंसर के मामलों के बढ़ने के अहम कारण हैं। आधुनिक जीवन की जरूरतों से बचा नहीं जा सकता है, लेकिन अपनी सुरक्षा के लिए लोगों को सावधानी बरतनी चाहिए। हम जो करते हैं, वही हमारे पास लौटकर आता है। अगर हम पर्यावरण को प्रदूषित करेंगे तो यह हमें भी नुकसान पहुंचाएगा। इसलिए इस बारे में शिकायत करने से बेहतर है कि हम बचाव का रास्ता अपनाएं और जहां तक संभव हो पर्यावरण को प्रदूषित करने में भूमिका ना निभाएं।”

जल्दी जांच की जरूरत पर बात करते हुए आरजीसीआईआरसी के रेडिएशन ओंकोलॉजी के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. जसकरन सिंह सेठी ने कहा, “अगर समय पर पता चल जाए तो कैंसर काफी हद तक इलाज से ठीक हो जाने वाली बीमारी है, इसलिए जल्दी जांच जरूरी है। दुर्भाग्य से दो तिहाई मरीज एडवांस्ड स्टेज पर जांच के लिए आते हैं। गले में गांठ, मुंह में किसी तरह का अल्सर जो ठीक नहीं हो रहा हो, आवाज में अचानक किसी तरह का बदलाव, कुछ गटकने में परेशानी होना हेड एंड नेक कैंसर के लक्षण हो सकते हैं।”

हेड एंड नेक कैंसर देश में चौथा सबसे ज्यादा होने वाला कैंसर है। इसके कारणों के बारे में डॉ. सेठी ने कहा कि तंबाकू चबाना मुंह के कैंसर का अहम कारण है। मुंह में लंबे समय तक कोई टूटा हुआ नुकीला दांत (शार्प टीथ) बने रहना भी मुंह के कैंसर का कारण बन सकता है। रेडिएशन की नई तकनीकों से कैंसर का इलाज आसान हुआ है। अब आईएमआरटी और आईजीआरटी जैसी रेडिएशन की तकनीकों में ट्यूमर को सटीक तरीके से निशाना बनाया जा सकता है। साथ ही इन तकनीकों की मदद से ट्यूमर के आसपास के अंगों के सामान्य हिस्सों को कोई नुकसान नहीं पहुंचता है, जिससे इलाज के अधिकतम प्रभाव के साथ अंगों में न्यूनतम खामी आती है।

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