प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को यहां कहा कि फिल्म का माध्यम ऐसी शांत शक्ति है, जो लोगों को धीरे-धीरे चुपचाप से प्रभावित करती है और हमारे समाज में बड़े बदलाव लाने और देश के विकास में योगदान करती है। यहां देश के पहले भारतीय राष्ट्रीय सिने संग्रहालय (एनएमआईसी) का उद्घाटन करने आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फिल्म उरी के अंदाज में लोगों से पूछा, “हाउज द जोश।” उन्होंने कहा कि फिल्म दर्शकों को इसका एहसास दिलाए बिना ही उनकी सोचने की प्रक्रिया बदल देती है और तभी फिल्में और समाज एक-दूसरे का प्रतिबिंब होते हैं।
मोदी ने कहा, “फिल्मों को सामाजिक बदलाव के साथ याद किया जाता है..उनमें भविष्य के बदलाव को पकड़ने की कुशलता होती है। सैकड़ों विभिन्न भाषाएं, हजारों बोलियां बोलने वालों और व्यापक रूप से फैली संस्कृतियों को एक करती हैं और अपने तरीके से पर्यटन को बढ़ावा देती हैं और रोजगार के अवसर पैदा करने में मदद करती हैं और इस प्रकार से राष्ट्र-निर्माण की प्रक्रिया में विशाल योगदान देती हैं।”
इसके अलावा, उन्होंने कहा कि भारतीय फिल्में दुनियाभर में देश का प्रतिनिधित्व करती हैं। बाहरी लोगों को आईना दिखाती हैं, हमें हमारी छवि वैश्विक रूप से सुधारने में मदद करती हैं। हमारी फिल्मों, संगीत, गानों के साथ हमारे कलाकार कई देशों में लंबे समय तक रहने वाला प्रभाव छोड़ रहे हैं।
उन्होंने कहा कि फिल्मों के अतिरिक्त, ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’ और ‘रामायण’ जैसे कई टीवी शो विदेशों में लोकप्रिय हैं, जहां लोग एक आम भारतीय जीवन की झलकियां देखना चाहते हैं।
इससे पहले उन्होंने मनोज कुमार, आमिर खान, ए.आर. रहमान, आशा भोसले, पंडित शिवकुमार शर्मा, रणधीर कपूर, करण जौहर, मधुर भंडारकर, किरण शांताराम, बोनी कपूर, डेविड धवन, रोहित शेट्टी, वहीदा रहमान, जितेंद्र कपूर, आशा पारेख, पंकज कपूर, राकेश ओमप्रकाश मेहरा, परिणीति चोपड़ा, दिव्या दत्ता और कई अन्य पूर्व और वर्तमान की बॉलीवुड हस्तियों की उपस्थिति में एनएमआईसी का उद्घाटन किया।
कार्यक्रम में इसके अलावा महाराष्ट्र के राज्यपाल सी.वी. राव, मुख्मंत्री देवेंद्र फडणवीस, केंद्रीय मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौर, रामदास आठवले, श्याम बेनेगल, प्रसून जोशी और कई अन्य गणमान्य नागरिक मौजूद रहे।