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रक्षाबंधन पर भाई की बहन से नक्सलियों का साथ छोड़कर घर लौटने की गुजारिश

रक्षाबंधन के मौके पर हर भाई को बहन की याद आती है और उसे सूनी कलाई रास नहीं आती। इतना ही नहीं सूनी कलाई रह-रहकर उसे बहन की याद दिलाती है, कभी नक्सली संगठन का हिस्सा रहे सुकमा के वेट्टी रामा के साथ भी ऐसा है। उसे भी अपनी बहन की बहुत याद आती है। यही कारण है कि उसने रक्षाबांन के मौके पर बहन से नक्सलियों का साथ छोड़कर घर लौटने की गुजारिश की है। वेट्टी रामा ने 30 साल तक नक्सली संगठन के लिए काम किया, उसका मोहभंग हुआ तो उसने 13 अक्टूबर 2018 को हथियार के साथ पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया और मुख्याधारा का हिस्सा बन गया। उस पर आठ लाख रुपये का ईनाम रखा था पुलिस ने। आत्मसमर्पण के बाद उसे शासन की पुनर्वास नीति का लाभ मिला। साथ ही पुलिस विभाग में सहायक आरक्षक की नौकरी मिल गई।

वेट्टी रामा तो नक्सलियों का साथ छोड़कर घर लौट आया है और नक्सलियों के खिलाफ पुलिस के अभियान में साथ दे रहा है, मगर उसकी बहन वेट्टी कन्नी अब भी नक्सलियों का साथ दे रही है। रक्षाबंधन के मौके पर वेट्टी रामा को वेट्टी कन्नी की याद आ रही है। उसने अपनी बहन से रक्षाबांन के मौके पर नक्सलियों का साथ छोड़कर घर लौटने की अपील की है। उसने बताया कि बहन से पहले भी वह कई बार घर लौटने की अपील कर चुका है।

रक्षाबंधन के मौके पर वेट्टी रामा के सामने 29 जुलाई की वह तस्वीर उभर आती है, जब वह बालेतोंग इलाके में नक्सलियो क खिलाफ अभियान में पुलिस दल का हिस्सा था। नक्सली सामने और दूसरी तरफ पुलिस पार्टी थी। वेट्टी रामा बताता है कि उसके एक साथी ने मुठभेड़ के दौरान कन्नी को देखा और कहा कि वो देखो तुम्हारी बहन कन्नी नजर आई। जब तक वह उसकी ओर देख पाता वह नजरों से ओझल हो गई। भाई ने बहन को आवाज भी दी। दोनों के बीच महज दो सौ मीटर की दूरी थी, लेकिन वह वहां से फरार हो गई।

सुकमा के पुलिस अधीक्षक शलभ सिंहा बताते हैं, “29 जुलाई को कोंटा एरिया के बालेतोंग में मुड़भेड़ हुई जिसमें दो नक्सली मारे गए थे। उस टीम के गाइड के रूप में वेट्टी रामा साथ में था, जो पिछले साल नक्सल संगठन छोड़कर मुख्याधारा से जुड़ा था। उसके बाद से ही रामा हमारे साथ सहयोगी के रूप मे कार्य कर रहा है। उस दिन की मुड़भेड़ में वेट्टी रामा की बहन वेट्टी कन्नी भी वहां मौजूद थी। दोनों का वहां आमना-सामना हुआ था। फिर दोनों तरफ से फायरिग हुई। उस मुड़भेड़ में नक्सली वेट्टी कन्नी बच निकली।”

नक्सलियों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए पुलिस की ओर से किए जाने वाले प्रयासों का ब्यौरा देते हुए सिन्हा ने बताया कि पुलिस की ओर से कोशिश की जाती है कि जो लोग भी नक्सली विचाराारा से प्रभावित होकर संगठनों में शामिल हो गए हैं वे वापस मुख्याारा में लौटे इसके लिए सरकार की आत्मसमर्पण नीति से लेकर तमाम योजनाओं की जानकारी दी जाती है। साथ ही लोगों से पत्र भी लिखवाए जाते हैं ताकि नक्सली वापस अपने घरों को लौट आए।

रामा को याद आता है कि बचपन में बहन वेट्टी कन्नी ने भी उसकी कलाई पर राखी बांधी थी। एक दिन नक्सली इनके गांव गगनपल्ली में आए और भाई-बहन दोनों को अपने साथ ले गए। उन्हें नक्सल संगठन में बाल नक्सली के रूप में शामिल कर लिया गया था। इसी संगठन में रह कर दोनों बड़े हुए और एक दिन वेट्टी रामा का संगठन से मोह भंग हो गया और करीब एक वर्ष पहले उसने पुलिस के सामने आत्म समर्पण कर दिया। इसके बाद वेट्टी रामा को पुलिस विभाग में सहायक आरक्षक बना लिया गया। वहीं नक्सली वेट्टी कन्नी कोंटा एरिया की अध्यक्ष है।

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