केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को देश में ई-सिगरेट पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है। इसके तहत ई-सिगरेट निर्माण, आयात, निर्यात, वितरण और भंडारण पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। मंत्रिमंडलीय बैठक के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि प्रतिबंध को लागू करने के लिए सरकार तत्काल एक अध्यादेश लाएगी, जिसे मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार शीतकालीन सत्र में एक विधेयक संसद में पेश करेगी।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की सचिव प्रीति सुदान ने कहा कि प्रतिबंध के तहत, पहली बार उल्लंघन करने पर एक लाख रुपये का जुर्माना या एक साल की जेल की सजा का प्रावधान होगा। नियमों का बार-बार उल्लंघन करने पर तीन साल की जेल या पांच लाख रुपये का जुर्माना या दोनों की सजा सुनाई जा सकती है।
उन्होंने कहा कि आयात, निर्यात और वितरण, ई-सिगरेट और वेपिंग उत्पादों का भंडारण करना सं™ोय अपराध माना जाएगा।
यह निर्णय विभिन्न धड़ों द्वारा इलेक्ट्रोनिक निकोटीन डिलीवरी सिस्टम्स (ईएनडीएस) पर प्रतिबंध की मांग किए जाने के बाद लिया गया है। ईएनडीएस में ई-सिगरेट्स, हीट-नॉट-बर्न डिवाइसेज, वेप, ई-शीशा, ई-निकोटीन फ्लेवर्ड हुक्का और ऐसी ही अन्य डिवाइसें आती हैं।
ई-सिगरेट्स में तंबाकू नहीं जलती है, लेकिन तरल रसायन गर्म होता है जो भाप बनकर व्यक्ति के शरीर में जाता है। इस कारण इसे वेपिंग भी कहा जाता है। ई-सिगरेट्स स्वास्थ्य के लिए हानिकारक मानी गया है।
सीतारमण ने कहा कि वर्तमान में हालांकि भारत की कोई कंपनी ई-सिगरेट नहीं बनाती है, लेकिन यहां लगभग 400 ब्रांड 150 फ्लेवर्स में ई-सिगरेट उपलब्ध कराते हैं।