लोकसभा चुनाव से पहले सवर्ण वोटों पर नजर रखते हुए केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्णो को सरकारी नौकरियों और शैक्षिक संस्थानों में 10 फीसदी आरक्षण देने को सोमवार को मंजूरी दे दी। उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि मंत्रिमंडल ने ईसाइयों व मुस्लिमों सहित ‘अनारक्षित श्रेणी’ के लोगों को नौकरियों व शिक्षा में 10 फीसदी आरक्षण देने का फैसला लिया। इसका फायदा आठ लाख रुपये वार्षिक आय सीमा व करीब पांच एकड़ भूमि की जोत वाले गरीब सवर्णो को मिलेगा।
मंत्रिमंडल बैठक की अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की।
लोकसभा में मंगलवार को इस उद्देश्य के लिए एक संविधान संशोधन विधेयक पेश होने की संभावना है।
सूत्रों का कहा कि प्रस्तावित कदम अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति व अन्य पिछड़ा वर्ग के मौजूदा 50 फीसदी आरक्षण में दिक्कत नहीं पैदा करेगा।
एक सूत्र ने फैसले पर आईएएनएस से कहा, “इस कोटा में किसी भी आरक्षण के प्रावधान के तहत नहीं आने वाले वर्गो जैसे ब्राह्मण, बनिया, ठाकुर, जाट, गुज्जर, मुस्लिम व ईसाई शामिल होंगे।”
उन्होंने कहा कि कैबिनेट के फैसले को लागू करने के लिए नियत समय में नियम बनाया जाएगा।
यह फैसला हिंदी बहुल राजस्थान, मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ के विधान सभा चुनावों में हार के बाद व लोकसभा चुनावों से चार महीने पहले आया है।
माना जाता है कि विधानसभा चुनावों में खास तौर से मध्य प्रदेश, राजस्थान में भाजपा को सवर्णो की भारी नाराजगी का सामना करना पड़ा है।
इसकी वजह एससी/एसटी एक्ट में बीते साल सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को अमान्य करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा लाए गए संशोधन को लेकर सवर्णो की नाराजगी बताई जा रही है।
फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा सांसद उदित राज ने कहा कि यह एक ‘साहसिक’ फैसला है।