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न बदला हकीक़त, क्यों किसान पहले भी तोड़ता था दम, आज भी तोड़ता है

पृथ्वी की सतह का एक तिहाई हिस्सा मरुस्थल है, वनों की कटाई, अतिवृष्टि और खराब सिंचाई के कारण रेगिस्तान में तब्दील होने वाले अधिकाधिक शुष्क क्षेत्र हैं।

बीजिंग : विश्व मरुस्थलीकरण एवं सूखा रोकथाम दिवस साल 1995 से हर साल 17 जून को मनाया जाता है, लेकिन इन क्षेत्रों में रहने वाला किसान पहले भी दम तोड़ रहा था, और आज भी अपना दम तोड़ रहा है। दरअसल, हमें समझना चाहिए कि दुनिया हर साल 24 अरब टन उपजाऊ भूमि खो देती है, और भूमि की गुणवत्ता खराब होने से राष्ट्रीय घरेलू उत्पाद में हर साल 8 प्रतिशत तक की गिरावट आ सकती है।

आज पृथ्वी की सतह का एक तिहाई हिस्सा मरुस्थल से ढका हुआ है, और वनों की कटाई, अतिवृष्टि और खराब सिंचाई प्रथाओं के कारण रेगिस्तान में तब्दील होने वाले अधिकाधिक शुष्क क्षेत्र हैं। जिसके चलते मरुस्थलीकरण की चुनौती से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रयासों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से इस दिवस को मनाया जाता है, साथ ही यह दिवस हमें अपने पैरों के नीचे की भूमि के संरक्षण के महत्व की याद दिलाता है।

इस साल इस दिवस की थीम ‘फूड, फीड, फाइबर’ है। इस बात पर प्रकाश डाला जाएगा कि दुनिया भर में व्यक्तिगत प्रभाव को कैसे कम किया जा सकता है। यह पूर्ति जनता के नजरिए को बदलने के उद्देश्य से की जाती है और जनता के लिए इसकी वजह से उत्पादन और खपत में वृद्धि होती है। जैसे-जैसे दुनिया की आबादी बढ़ती जा रही है, वैसे ही कपड़े के लिए भोजन, पशु आहार और फाइबर प्रदान करने के लिए अधिक भूमि की मांग बढ़ रही है। हमें शुष्क भूमि को रेगिस्तान में बदलने से रोकने के लिए एक स्थायी जीवन शैली का नेतृत्व करने की आवश्यकता है।

हमें देखना होगा कि मरुस्थलीकरण, भूमि क्षरण और सूखा बड़े खतरे हैं जिनसे दुनिया भर में लाखों लोग, विशेषकर महिलाएं और बच्चे, प्रभावित हो रहे हैं। इस तरह के रुझानों को ‘तत्काल’ बदलने की आवश्यकता है क्योंकि इससे मजबूरी में होने वाले विस्थापन में कमी आ सकती है, खाद्य सुरक्षा सुधर सकती है और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिल सकता है। साथ ही यह वैश्विक जलवायु आपातकालीन को दूर करने में भी मदद कर सकती है।

जाहिर है, वनीकरण को प्रोत्साहन इस समस्या से निपटने में सहायक हो सकता है, कृषि में रासायनिक उर्वरकों के स्थान पर जैविक उर्वरकों का प्रयोग सूखे को कम करता है। हमें मरुस्थलीकरण के बारे में जागरूकता बढ़ानी चाहिए और वृक्षारोपण को बढ़ावा देना चाहिये। यही नहीं, धरती पर वन सम्पदा के संरक्षण के लिए वृक्षों को काटने से रोका जाना चाहिए, इसके लिए सख्त कानून का प्रावधान किया जाना चाहिए। साथ ही खाली पड़ी भूमि पर, पार्कों में सड़कों के किनारे व खेतों की मेड़ों पर वृक्षारोपण कार्यक्रम को व्यापक स्तर पर चलाया जाए। जरूरत इस बात की भी है कि इन स्थानों पर जलवायु अनुकूल पौधों-वृक्षों को उगाया जाए। तब जाकर, विश्व मरुस्थलीकरण एवं सूखा रोकथाम दिवस का असल उद्देश्य पूर्ण होगा।

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