कोलकाता मेट्रो हादसे में बेघर हुए सैकड़ों लोगों में मंत्री भी शामिल

कोलकाता में 16.60 किलोमीटर निर्माणाधीन ईस्ट वेस्ट मेट्रो रेल परियोजना के तहत हो रहे सुरंग निर्माण कार्य की वजह से 50 इमारतों के क्षतिग्रस्त होने और कई इमारतों के गिरने के बाद पश्चिम बंगाल के मंत्री सहित 400 से ज्यादा लोगों को अपने घरों और दुकानों को खाली करना पड़ा है। यह मेट्रो रेल परियोजना भारत की पहली अंडर-रिवर ट्रेन लाइन का हिस्सा है। तकनीकी रूप से इस परियोजना की समानता पेरिस से लंदन को जोड़ने वाली ट्रेन यूरोस्टार के साथ है। परियोजना को लागू करने वाली कंपनी, कोलकाता मेट्रो रेलवे कॉर्पोरेशन लिमिटेड(केएमआरसीएल) ने इस दुर्घटना को एक ‘अभूतपूर्व आपदा’ बताया है।
31 अगस्त को यह घटना तब हुई जब सुरंग बोरिंग मशीन एक एक्वीफर(जलीय चट्टानी परत) से टकरा गई, जिसके फलस्वरूप पानी और गाद जमा हो गया और मध्य कोलकाता के बाउ बाजार में कई सड़कें क्षतिग्रस्त हो गईं। यह इलाका शहर के महत्वपूर्ण कार्याल और व्यापारिक केंद्र एस्प्लेनेड और डलहौजी के पास है।
घटना के दिन 31 अगस्त को ही 10 इमारतों में दरार आ गई और अगले दिन यह संख्या बढ़कर 52 हो गई। इस वजह से 400 लोगों को होटलों या गेस्ट हाउस में भेजा गया।
वरिष्ठ केएमआरसीएल अधिकारियों ने एहतियातन जिन लोगों को उनके आवास खाली कराने के लिए कहा, उनमें राज्य के योजना व सांख्यिकी मंत्री तापस राय भी शामिल हैं। राय एक दशक से अधिक समय से बीबी गांगुली स्ट्रीट में रहते थे और उन्होंने घटना को ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ बताया है।
इसबीच, केएमआरसीएल ने अपने बयान में कहा, “केएमआरसीएल बोर्ड के निदेशकों ने घटना में प्रभावित परिवारों के लिए तत्काल पांच लाख रुपये जारी करने का निर्णय लिया है।”
केएमआरसीएल ने दुर्गा पितुरी लेन, बाबू रामसील लेन और गौर डे लेन में रहने वाले परिवारों को तत्काल अपने मकान खाली करने के लिए कहा था, जिससे इनलोगों को काफी परेशानी उठानी पड़ी।
केएमआरसीएल ने हालांकि क्षतिग्रस्त इमारत का मरम्मत करने या फिर पुनर्निर्माण कराने का वादा किया है और बेघर लोग अगर ज्यादा दिनों तक होटलों में रहते हैं तो उन्हें किराये पर फ्लैट दिया जाएगा।
बयान के अनुसार, “एजेंसी ने मामले को सुलझाने के लिए राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर के ख्याति प्राप्त कई विशेषज्ञों को काम पर लगाया है।”
केएमआरसीएल के अनुसार, सुरंग बोरिंग के कार्य को रोक दिया गया है और कोर्ट से आदेश मिलने के बाद ही काम शुरू किया जाएगा। कंपनी के अधिकारियों को डर है कि परियोजना में कम से कम एक वर्ष की देरी हो सकती है, जिससे कंपनी के लागत में बड़े पैमाने पर वृद्धि हो सकती है।
कोर्ट मामले की सुनवाई 16 सितंबर को करेगी।
इसबीच, राज्य शहरी विकास मंत्री फरहाद हकीम ने क्षति को नियंत्रित करने और प्रभावित नागरिकों के समुचित पुनर्वास के लिए रेल मंत्री पीयूष गोयल से हस्तक्षेप करने की मांग की है। हकीम ने इसके साथ ही लापरवाही के लिए केएमआरसीएल को जिम्मेदार ठहराया है।