छत्तीसगढ़ में हाथी और इंसानों का संघर्ष बड़ा चुनौती बना हुआ है। हर साल इंसान और हाथी दोनों के बीच होने वाले संघर्ष में दोनों की जान तो जाती ही है, साथ में संपत्ति और फसलों का भी भारी नुकसान होता है। इस संघर्ष को रोकने के साथ हाथी संरक्षण और संवर्धन के लिए लमेरु हाथी रिजर्व बनाया जा रहा है। भारत सरकार ने इस रिजर्व की अनुमति वर्ष 2007 में ही दे दी थी, मगर अब उस पर अमल होने जा रहा है।
छत्तीसगढ़ देश के उन राज्यों में से एक है, जिसकी पहचान वनाच्छादित क्षेत्र के कारण है। यहां लगभग 18़ 92 प्रतिशत क्षेत्र वनाच्छादित है। वहीं वन्य प्राणियों के लिए संरक्षित क्षेत्र 8़ 36 प्रतिशत है। वन्यप्राणियों के संरक्षण के लिए दो राष्ट्रीय उद्यान, तीन टाइगर रिजर्व, आठ अभयारण्य और एक बायोस्फियर रिजर्व है। इसके बावजूद यहां हाथियों का उत्पात आम आदमी की जिंदगी पर असर डाल रहा है। अब यहां लमेरु हाथी रिजर्व बनाने की तैयारी तेज हो गई है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर इस रिजर्व की घोषणा कर दी थी।
सरकार की तरफ से दी गई जानकारी के अनुसार, भारत सरकार ने वर्ष 2007 में लमेरु हाथी रिजर्व बनाए जाने पर सहमति जताई थी, मगर वर्ष 2011 में तीन अभ्यारण्य पिंगला, सेमरसोत और बादलखोल को मिलाकर सरगुजा-जशपुर हाथी रिजर्व बना दिया गया। लमेरु हाथी रिजर्व का क्षेत्रफल जहां 1995़ 48 किलोमीटर था, वहीं सरगुजा-जशपुर हाथी रिजर्व 1143़ 34 वर्ग किलोमीटर में है।
छत्तीसगढ़ जब मध्य प्रदेश का हिस्सा हुआ करता था उस दौर में वर्ष 1988 से दूसरे राज्यों से हाथियों के आने का सिलसिला शुरू हुआ था। धीरे-धीरे हाथियों की संख्या बढ़ती गई। वर्तमान में राज्य में 254 से ज्यादा हाथी विचरण कर रहे हैं। ये हाथी 19 झुडों में राज्य के सरगुजा, बिलासपुर व रायपुर वन क्षेत्र में नजर आ जाते हैं। बीते पांच सालों में हाथी और मानव में कई बार संघर्ष हुआ। परिणामस्वरूप दोनों की जानें भी गईं, तो दूसरी ओर फसलों, संपत्ति का भी बहुत नुकसान हुआ है।
राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने स्वतंत्रता दिवस पर लमेरु हाथी रिजर्व बनाने का ऐलान किया है। बघेल का मानना है कि लमेरु हाथी रिजर्व के बनने से हाथियों के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए विशाल वन क्षेत्र उपलब्ध हो जाएगा, बेहतर रहवास उपलब्ध होगा, जिसमें उन्हें वन, पानी व भोजन आसानी से सुलभ होगा। जब जंगल में ही पानी व भोजन उपलब्ध रहेगा तो हाथी जंगल से बाहर नहीं जाएंगे। आबादी वाले इलाके हाथियों के उत्पात से बचे रहेंगे।
सरकार का मानना है कि लेमरु हाथी रिजर्व के बनने से मानव-हाथी संघर्ष कम होंगे, फसल, मकान आदि को नुकसान भी कम होगा। इतना ही नहीं हाथियों के उत्पात के चलते मुआवजे में दी जाने वाली राशि का उपयोग हाथी के रहवास पर हो सकेगा।
वन्यप्राणी विषेषज्ञों का मानना है कि अगर हाथी रिजर्व बन जाता है तो इससे एक तरफ हाथी-मानव संघर्ष कम होगा, नुकसान को बचाया जा सकेगा और दूसरी ओर पर्यटन की संभावनाएं बढ़ने पर लोगों को रोजगार के अवसर भी मिल सकेंगे।
प्रस्तावित लमेरु हाथी रिजर्व कोरबा, कटघोरा, सरगुजा और धरमजयगढ़ वन मंडल क्षेत्र में 1995़ 48 वर्ग किलोमीटर में फैला होगा।