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वीआईपीओ के साथ बिस्तर शेयर करने के लिए मजबूर किया जाता था कॉलेज गर्ल्स को

मध्य प्रदेश का हनीट्रैप सेक्स कांड छह साल पहले उजागर हुए व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) की याद ताजा कराने वाला है। इस कांड की सूई भी व्यापमं की तरह नौकरशाहों-सफेदपोशों के इर्दगिर्द ही घूमती नजर आ रही है।

एक सप्ताह पहले इंदौर की पुलिस ने दो महिलाओं और उनके वाहन चालक को गिरफ्तार किया था। ये महिलाएं नगर निगम के इंजीनियर हरभजन सिंह का वीडियो बनाने के बाद उसे ब्लैकमेल कर उससे तीन करोड़ रुपये मांग कर रही थीं। मांगी गई रकम की पहली किश्त के तौर पर 50 लाख रुपये वे लेने आईं तो पकड़ी गईं। बीते सात दिनों में इस कांड से जुड़ी जो तस्वीर सामने आ रही है, वह चौंकाने वाली है। साथ ही इस बात का अहसास करा रही है कि राज्य में बीते कई वर्षो में करोड़ों के ठेके उन लोगों के हाथ लग गए, जिन्होंने महिलाओं का भरपूर इस्तेमाल किया।

इस मामले की जांच अब एसआईटी (विशेष जांच टीम) को सौंप दी गई है। इसके साथ ही सत्ताधारी दल कांग्रेस और विपक्षी दल भाजपा के नेताओं के नाम इस हनीट्रैप सेक्स कांड से जुड़ने लगे हैं। अभी तक किसी भी नेता पर पुलिस ने तो उंगली नहीं उठाई है, मगर गलियारों में चर्चा यही है कि हनीट्रैप सेक्स कांड की महिलाओं से नेताओं के रिश्ते रहे हैं।

व्यापमं घोटाले पर गौर करें तो एक बात साफ होती है कि इस मामले में प्रशासनिक अधिकारियों और कई नेताओं को जेल जाना पड़ा है। यह अंतर्राज्यीय घोटाला साबित हुआ। इस मामले की एसटीएफ , एसआईटी के बाद सीबीआई जांच कर रही है। इस मामले से जुड़े लगभग 50 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें एक न्यूज चैनल के संवाददाता अक्षय सिंह का भी नाम शामिल है। इस घोटाले में 1,450 छात्रों के खिलाफ प्रकरण दर्ज किए गए और परिजनों को भी आरोपी बनाया गया। लगभग 3000 लोगों को आरोपी बनाया गया, जिनमें से बड़ी संख्या में लोगों को जेल जाना पड़ा।

अब हनीट्रैप सेक्स कांड की कहानी व्यापमं की तरह राज्य की सीमाओं को लांघकर दूसरे राज्यों की ओर बढ़ रही है। महाराष्ट्र और अन्य राज्यों से तार जुड़ने लगे हैं। नौकरशाहों और सफेदपोशों के बीच इस गिरोह की महिलाओं की घुसपैठ की बात सामने आने लगी है। कुछ दिन पहले एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी का वीडियो वायरल हो ही चुका है। वहीं पुलिस के हाथ कई वीडियो और ऑडियो क्लिपिंग भी लगी हैं, जो अफसरों और नेताओं के इनके जाल में फंसने की ओर इशारा कर रहे हैं।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता के.के. मिश्रा ने कहा, “हनीट्रैप सेक्स कांड पूरी तरह चारित्रिक पतन से जुड़ा हुआ है, यह घोटाला व्यापमं का पार्ट-2 है, जिसमें बड़े कारोबारी, नौकरशाह, राजनेता, मीडिया जगत के लोग जुड़े हुए हैं। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने यह जांच सक्षम अधिकारी अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक संजीव शमी को सौंपी है, उनकी जांच के बाद दूसरी किसी जांच की जरूरत नहीं होगी, क्योंकि सारे चेहरे बेनकाब हो जाएंगे।”

वहीं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता और पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा इस मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग कर चुके हैं। भाजपा के मुख्य प्रवक्ता डॉ. दीपक विजयवर्गीय ने कहा कि जांच पूरी तरह पारदर्शी व निष्पक्ष होनी चाहिए, मगर सरकार जांच को अपनी मर्जी के अनुसार दिशा देने का प्रयास कर रही है। दूसरी ओर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह भाजपा की सीबीआई जांच की मांग पर यह कहकर तंज कस चुके हैं कि भाजपा के लोग व्यापमं की तरह सीबीआई के जरिए इस मामले की जांच को प्रभावित करना चाहते हैं।

पुलिस के हाथ जो सुराग हाथ लगे हैं, वे इस बात का खुलासा करते हैं कि हनीट्रैप सेक्स कांड में सिर्फ पांच महिलाएं नहीं हैं, बल्कि उनके गिरोह के सदस्य छोटे जिलों तक फैले हुए हैं, जिनका समय-समय पर अपने तरह से उपयोग किया जाता था। पहले संबंधित नेता अथवा अफसर को खुश करके ठेका या दूसरे काम मंजूर कराए जाते थे और जिससे यह काम नहीं हो पाता था उसे ब्लेकमैल करने की धमकी देकर रकम वसूली जाती थी। इतना ही नहीं बड़े अफसरों की पोस्टिंग में भी ये महिलाएं बड़ी भूमिका निभाती थीं।

सूत्रों का दावा है कि अगर जांच सही हुई और राजनीतिक दखल नहीं रहा, तो कई ऐसे नेताओं और अफसरों के चेहरे बेनकाब होंगे, जिनका अपने-अपने क्षेत्र में करियर अभी बहुत लंबा है और वे वर्तमान में भी प्रमुख पद पर हैं। जिन लोगों के नाम सामने आ रहे हैं, उनमें कांग्रेस और भाजपा दोनों दलों से जुड़े नेता बड़ी संख्या में हैं। पुलिस के हाथ 100 से ज्यादा वीडियो और 200 से ज्यादा ऐसे फोन नंबर लग गए हैं, जो सियासी तूफान खड़ा कर सकते हैं।

पिछले दिनों में हनीट्रैप सेक्स कांड से जुड़ी महिलाओं की तमाम बड़े नेताओं के साथ आई तस्वीरें और एक अफसर के साथ वीडियो यह तो साबित कर ही रहा है कि इस गिरोह का राज्य की सियासत और नौकरशाही में पर्याप्त दखल रहा है। इसी के चलते कई लोग यह भी आशंका जता रहे हैं कि इस कांड का हाल भी कहीं व्यापमं जैसा न हो जाए। पहले कई नेता-अफसर पकड़े जाएं और फिर सभी रिहा होते जाएं।

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