कोरोनावायरस संक्रमण की रोकथाम के लिए घोषित किए गए लॉकडाउन के बीच 800 डॉक्टर, नर्स, पैरामेडिकल स्टॉफ ने अपनी निशुल्क एवं स्वैच्छिक सेवाएं देने की पेशकश की है। कोरोनावायरस की रोकथाम के लिए इन सभी ने हरियाणा सरकार से संपर्क किया है। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा, “राज्य सरकार ने उन लोगों के लिए एक पोर्टल भी बनाया किया है, जो जरूरत के इस समय में स्वेच्छा से अपनी सेवाएं देना चाहते हैं। अब तक लगभग 60,000 वॉलेंटियर्स ने इस पोर्टल पर अपना पंजीकरण कराया है, जिसमें 800 डॉक्टर, नर्स, पैरामेडिकल स्टॉफ और राहत शिविरों में भोजन वितरण के काम में लगे अन्य लोग शामिल हैं। संबंधित जिला प्रशासन इन वॉलेंटियर्स को जरूरत के आधार पर काम सौंपेगा और उन्हें पास भी जारी करेगा।”
मुख्यमंत्री ने कहा, “31 मार्च, 2020 को सेवानिवृत्त होने वाले सरकारी कर्मचारियों के मद्देनजर, कर्मचारियों को सेवा विस्तार देने के लिए छह विभागों को छांटा गया है। इनमें स्वास्थ्य सेवाओं में लगे डॉक्टर एवं अन्य मेडिकल कर्मचारी शामिल हैं।”
मनोहर लाल ने कहा, “मुख्यमंत्री परिवार समृद्धि योजना के तहत पंजीकृत कुल 12 लाख 50 हजार परिवारों में से 6.29 लाख परिवारों के बैंक खातों में 4000 रुपये की वित्तीय सहायता की किस्त पहले ही जारी कर दी गई है। शेष पात्र परिवारों को भी अगले कुछ दिनों में वित्तीय सहायता मुहैया करवा दी जाएगी। इसी तरह, 3.50 लाख से अधिक निर्माण श्रमिकों के बैंक खातों में 1000 रुपये प्रति सप्ताह की वित्तीय सहायता हस्तांतरित की गई है। यह राशि लॉकडाउन के दौरान प्रत्येक सोमवार को इन लाभार्थियों को हस्तांतरित की जाएगी।”
बड़ी संख्या में ऐसे गरीब परिवार जो बीपीएल, मुख्यमंत्री परिवार समृद्धि योजना और निर्माण श्रमिकों की श्रेणियों के तहत कवर नहीं होते। ऐसे परिवारों को भी प्रति सप्ताह 1000 रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी। हरियाणा में ऐसे परिवारों के सत्यापन के लिए एसएमएस आधारित एक अनूठी प्रणाली विकसित की गई है, जिनके पास 5 एकड़ से कम भूमि या वार्षिक आय 1.80 लाख रुपये से कम है और उन्हें किसी अन्य श्रेणी के तहत कोई वित्तीय सहायता नहीं मिल रही है उन्हें इस योजना में शामिल किया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा, “यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि हरियाणा के जो नागरिक दूसरे राज्यों से आए हैं, उन्हें भी एहतियात के तौर पर 14 दिनों के क्वारैंटाइन में रखा जाए।”
उन्होंने कहा, “विभिन्न सामाजिक संगठनों ने भी राहत शिविरों के लिए अपने शेड का इस्तेमाल करने की पेशकश की है, लिहाजा उपायुक्त अपनी आवश्यकता के अनुसार इन शेड्स का उपयोग कर सकते हैं।”