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प्रदूषण बढ़ा, दिवाली के बाद भी जारी रहेगा पटाखा विरोधी अभियान

दीपावली पर जलने वाले पटाखे और पराली जलने से होने वाला धुंआ प्रदूषण के प्रमुख कारण हैं। इसलिए ग्रीन पटाखा को सख्ती से लागू किया जाएगा।

नई दिल्ली : रविवार को दिल्ली से सटे विभिन्न राज्यों में पराली की जलती लपटों चरम पर हैं, जिसने दिल्ली में प्रदूषण के स्तर को बढ़ा दिया। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अंतर्गत आने वाली वायु गुणवत्ता निगरानी एजेंसी (सफर) ने यह आकंड़ा जारी किया है। ‘सफर’ ने दिल्ली की हवा को प्रभावित करने वाले पड़ोसी राज्यों पंजाब, हरियाणा, यूपी, और उत्तराखंड और क्षेत्रों में पराली जलाने की घटनाओं को समन्वित किया है। पीएम 2.5 में पराली जलाने से उत्पन्न धुएं की हिस्सेदारी लगभग 40 प्रतिशत है।

यह इस सीजन में अब तक का सबसे अधिक प्रदूषण है। दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण के स्तर को देखते हुए दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा, “इस बार दीपावली पर दिल्ली में केवल ग्रीन पटाखों का उत्पादन, बिक्री और उपयोग करने की अनुमति रहेगी। इसका उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।”

उन्होंने कहा, “दीपावली पर जलाए जाने वाले पटाखों से दिल्ली की हवा प्रदुषित हो जाती है और उसका लोगों की जिंदगी पर गंभीर असर पड़ता है। दिल्ली सरकार 3 नवंबर से एंटी क्रेकर अभियान शुरू करेगी, जो बाद में भी जारी रहेगा। इस अभियान को चलाने के लिए डीपीसीसी की 11 टीमें गठित की जा रही हैं और पुलिस का सहयोग भी लिया जाएगा। मैं दिल्लीवासियों से अपील करता हूं कि वे कोविड-19 महामारी के कारण स्थिति की गंभीरता को देखते हुए ‘नो पटाखा’ अभियान शुरू करें।”

दीपावली पर जलने वाले पटाखे और पराली जलने से होने वाला धुंआ दिल्ली के प्रदूषण के प्रमुख कारण हैं। इसलिए ग्रीन पटाखा को सख्ती से लागू किया जाएगा।

प्रदूषण मानदंडों के अनुरूप दिल्ली के अंदर जो 13 हॉटस्पॉट हैं, उनका नजदीक से निगरानी का काम किया जा रहा है। पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि अब दीपावली नजदीक आ रही है। पराली जलने से धुआं होता है और दीपावली के समय पटाखे जलाने से दिल्ली की हवा जहरीली होती है। इसका बहुत ही गहरा असर दिल्ली के लोगों की जिंदगी पर पड़ता है। इसलिए दिल्ली सरकार ने यह निर्णय लिया है कि सुप्रीम कोर्ट के 23 अक्टूबर 2018 के आदेशानुसार दिल्ली के अंदर केवल ग्रीन पटाखों का उत्पादन, बिक्री और उपयोग किया जा सकता है।

ग्रीन पटाखे में पायरोटेक्निक फायर वर्क के साथ ईंधन और आक्सीडाइजर को मिलाया जाता है, जिसमें सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसे प्रदूषक तत्व बहुत कम मात्रा में होते हैं। ग्रीन पटाखों के उपयोग से जो प्रदूषण होता है, उसे काफी स्तर तक कम किया जा सकता है।

ग्रीन पटाखों के उपयोग हो रहा है या नहीं, इसके लिए कोर्ट ने पुलिस को निर्देश दिया था कि वह इसकी जांच करें और सुनिश्चित करें। दिल्ली पुलिस की लाइसेंस अथॉरिटी को डीपीसीसी की तरफ नोटिस जारी किया जाएगा कि वह इसको सुनिश्चित करें। इस पर निगरानी रखने के लिए दिल्ली सरकार 3 नवंबर से पटाखा-विरोधी अभियान शुरू करेगी।

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