कोरोनावायरस से विश्व के विभिन्न देश जूझ रहे हैं। इसके संक्रमण के फैलाव को रोकने व संक्रमित लोगों के इलाज के लिए तमाम देशों की ओर से हर संभाव प्रयास किए जा रहे हैं। मगर पाकिस्तान में संक्रमित लोगों को बचाने में जुटे डॉक्टर ही सुरक्षित नहीं हैं। यहां के एक बड़े नामी अस्पताल में कोरोना संक्रमित व्यक्ति के इलाज में जुटे दो डॉक्टरों को संसाधनों की कमी के कारण कोरोना के संदिग्ध के तौर पर आइसोलेशन (एकांतवास) में भर्ती करना पड़ा है।
द नेशन की खबर के अनुसार, पाकिस्तान इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (पीआईएमएस) में बचाव के बुनियादी संसाधन तक उपलब्ध नहीं हैं, जिस वजह से यहां डॉक्टर भी सुरक्षित नहीं हैं। रविवार को कोरोना संक्रमण से ग्रसित व्यक्ति को वेंटिलेटर पर लेकर जाने वाले दो डॉक्टरों को ही एकांतवास में रखना पड़ा है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि डॉक्टरों की सुरक्षा के साथ समझौता किया जा रहा है, क्योंकि अस्पताल में सेवारत लगभग 800 मेडिकल स्टाफ के लिए पर्सनल प्रोटेक्शन इक्विपमेंट (पीपीई) भी पर्याप्त तौर पर उपलब्ध नहीं हैं। डॉक्टरों का कहना है कि अस्पताल के कुछ वार्डो में डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ के लिए हाथ धोने के लिए सेनेटाइजर की भी कमी है।
यहां अमेरिका से लौटी एक महिला को शनिवार को वेंटिलेटर पर रखा गया था, क्योंकि उसकी स्थिति गंभीर हो गई थी। मगर संसाधनों की कमी का आलम ऐसा रहा कि महिला को वेंटिलेटर पर रखने वाले दो डॉक्टरों को भी वार्ड में अलग-थलग कर दिया गया, क्योंकि वे मरीज को वेंटिलेटर पर शिफ्ट करते समय पीपीई से लैस नहीं थे।
एकांतवास में रखे गए डॉक्टरों में एक वरिष्ठ डॉक्टर शामिल हैं, जो आईसीयू में गंभीर रोगियों का इलाज करते हैं, जबकि दूसरा डॉक्टर मेडिकल यूनिट से है।
अस्पताल में संक्रमण के बचाव के लिए जरूरी संसाधनों की कमी की पुष्टि पीआईएमएस के प्रवक्ता डॉ. वसीम ख्वाजा ने भी की है। ख्वाजा ने कहा कि संदिग्ध और पुष्टि किए गए रोगियों की संख्या में वृद्धि हुई है और अस्पताल में आइसोलेशन वार्ड में सुविधाएं कम हैं। उन्होंने कहा कि अस्पताल में वेंटिलेटर की भी कमी है, जिससे कई मरीज इन पर शिफ्ट होने के लिए पहले से ही कतार में हैं।