जाने-माने फिल्मकार सृजित मुखर्जी की बहुचर्चित फिल्म ‘गुमनामी’ का टीजर स्वतंत्रता दिवस के मौके पर रिलीज किया गया और ठीक अगले दिन कोलकाता निवासी नेताजी के एक प्रशंसक देवव्रत रॉय ने शुक्रवार को फिल्म के प्रोड्यूसर को एक कानूनी नोटिस भेजा है। नेताजी के इस फैन देवव्रत रॉय ने यह आग्रह किया है कि इस फिल्म पर रोक लगाई जाए, क्योंकि यह फिल्म दर्शकों को नेताजी के बारे में गलत जानकारी देगी।
इस फिल्म के बारे में कई लोगों का ऐसा मानना है कि यह ‘गुमनामी बाबा’ यानी नेताजी सुभाषचंद्र बोस पर आधारित है।
लगभग डेढ़ मिनट लंबा यह टीजर 15 अगस्त को रिलीज किया गया। टीजर में कुछ किरदार यह कहते देखे गए कि ‘गुमनामी बाबा’ ही नेताजी हैं।
कोलकाता के बेलगछिया में रहने वाले देवव्रत रॉय द्वारा जारी किए गए कानूनी नोटिस में कहा गया है, “आपके प्रस्तावित उपाख्यान में उन्हें (नेताजी) ‘गुमनामी बाबा’ के साथ जोड़ा है, यह विशुद्ध रूप से काल्पनिक, व्यक्तिनिष्ठ, परिकल्पित, झूठी, अर्थहीन है और यह महान पार्टियों को नुकसान पहुंचाने और उन्हें नीचा दिखाने का एक प्रयास है।”
नोटिस में दावा किया गया है कि नेताजी के रहस्यमय ढंग से गायब हो जाने की पुष्टि के लिए साल 1945 में जस्टिस मनोज मुखर्जी समिति का गठन किया गया था। समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘गुमनामी बाबा’ की पहचान बोस के साथ मेल नहीं खाती।
इसके अलावा, उत्तर प्रदेश के फैजाबाद से उस संन्यासी के सामानों की जांच गहनता से की गई, जिसमें नेताजी के साथ उनके संबंध को प्रमाणित करने का कोई भी सबूत नहीं मिला।
नोटिस में यह भी कहा गया कि इस बात की संभावना ही नहीं है कि बोस जैसे सशक्त सार्वजनिक नेता वास्तव में इतने लंबे समय तक भारत के किसी स्थान पर इस तरह से एक संन्यासी की तरह रह सकते और किसी ने उन्हें पहचाना तक नहीं।
नोटिस के मुताबिक, “इस तरह के विरूपित प्रचार से देश के लोगों के दिमाग पर एक अमिट और हानिकारक प्रभाव पड़ेगा और यह झूठ और धोखाधड़ी के अपराध का निर्माण करेगा।”
अंत में इसमें कहा गया, “अत: आपसे तथ्यों के हेरफेर और गलतबयानी से दूर रहने और इस परियोजना को रोकने का आग्रह है, अन्यथा नेताजी का मानहानि के आपके इस कृत्य के खिलाफ कानून अपनी कार्रवाई करेगी।”