मुंबई की एक अदालत ने शनिवार को फरार चल रहे शराब कारोबारी विजय माल्या को भगोड़ा आर्थिक अपराधी कानून 2018 के तहत भगोड़ा करार दिया है, जोकि जांच एजेंसियों की एक बड़ी जीत है। मुंबई स्थित धनशोधन निवारक अधिनियम (पीएमएलए) की विशेष अदालत ने जून 2018 में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दाखिल एक मुकदमे में आदेश दिया है।
भगोड़ा आर्थिक अपराधी कानून (एफईओए) के तहत अपने तरह के पहले मामले में पिछले साल 22 जून को ईडी ने विशेष पीएमएलए अदालत से माल्या को भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित करने की मांग की थी, ताकि उसकी अनुमानित 12,000 करोड़ रुपये से अधिक की सारी जायदाद अधिनियम के तहत जब्त की जाए।
माल्या ने हालांकि अपने वकील के माध्यम से विशेष अदालत को बताया कि वह देश छोड़कर नहीं भागे हैं, वह मार्च 2016 में वर्ल्ड मोटर स्पोर्ट काउंसिल की स्विटजरलैंड में एक बैठक में हिस्सा लेने के लिए सामान्य तरीके से गए थे।
विशेष पीएमएलए अदालत के न्यायाधीश एम. एस. आजमी फरवरी से माल्या की जायदाद जब्त करने पर दलील की सुनवाई करेंगे।
एफईओए के तहत अगर किसी व्यक्ति के खिलाफ सूचीबद्ध अपराध में गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है और वह आपराधिक अभियोग से बचने के लिए भारत छोड़ दिया है या विदेश में है या भारत वापस आने से मना करता है तो उसे आपराधिक अभियोग का सामना करना पड़ेगा।
व्यक्ति को भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित किए जाने पर अभियोग चलाने वाली एजेंसी के पास बकाये की भरपाई करने के लिए उनकी सारी परिसंपत्ति और जायदाद जब्त का अधिकार होगा।
माल्या (63) को विशेष अदालत ने अदालत के सामने पेश होने के लिए 27 अगस्त को समन जारी किया था, लेकिन वह अदालत के समन का सम्मान करने में विफल रहे। इसके अलावा वह ईडी द्वारा उनसे पूछताछ करने के लिए भेजे नोटिस, समन और गिरफ्तारी वारंट का भी अनुपालन करने में वह विफल रहे।
वह मार्च 2016 में देश छोड़कर बाहर चले गए, जबकि भारतीय स्टेट बैंक की अगुवाई में 13 बैंकों का एक कंसोर्टियम उनके खिलाफ 9,000 करोड़ रुपये से अधिक रकम के कर्ज की वसूली की कार्यवाही शुरू करने जा रहा था।
पिछले साल भारत सरकार ने उनके प्रत्यर्पण की कार्यवाही शुरू की थी, जिसका उन्होंने विरोध किया है। मामले में अंतिम फैसला आना बाकी है, फिलहाल वह जमानत पर लंदन में हैं।