कैफे कॉफी डे (सीसीडी) के संस्थापक की मौत हो चुकी है। उनका शव कर्नाटक की नेत्रावती नदी में बुधवार तड़के बरामद किया गया। वे 60 वर्ष के थे। मंगलुरू पुलिस आयुक्त संदीप पाटिल ने यहां संवाददाताओं से कहा, “कर्नाटक में दो मछुआरों ने आज तड़के नेत्रावती नदी के उस पुल से लगभग 500 मीटर दूर उनका शव देखा, जहां से उन्होंने सोमवार रात कथित रूप से नदी में छलांग लगाई थी।”
तटीय शहर मंगलुरू बेंगलुरू के पश्चिम में लगभग 360 किलोमीटर दूर है।
मछुआरों को होइंगे बाजार के निकट उनका शव मिला। शव से शर्ट गायब थी।
पूर्व मंत्री और उल्लाल से कांग्रेस विधायक यू.टी. खादर ने कहा, “शव को पोस्टमॉर्टम के लिए सरकारी वेनलॉक हॉस्पिटल भेज दिया गया है। शव को सिद्धार्थ के परिजनों को सौंप दिया जाएगा और अंतिम संस्कार के लिए चिकमंगलुरू ले जाया जाएगा।”
खादर ने कहा कि सिद्धार्थ के दायें हाथ की उंगली में सोने की अंगूठी, बायें हाथ पर डिजिटल घड़ी और नदी में कूदने से पहले वे जो जूते पहने थे, उन जूतों से उनकी शिनाख्त की गई।
सिर्फ पेंट में शव मिलने के बारे में सवाल करते हुए खादर ने कहा कि यह पुलिस की जांच का विषय है कि क्या उन्होंने नदी में कूदने से पहले शर्ट उतारी थी, क्योंकि 36 घंटों के तलाशी अभियान के बाद भी वह आसपास नहीं मिली।
उन्होंने कहा, “शव को चिकमंगलुरू में जनता दर्शन के लिए रखा जाएगा और अंतिम संस्कार कॉफी जिला के उनके पैतृक गांव में किया जाएगा।”
ड्राइवर द्वारा उद्योगपति के बारे में जानकारी देने के लगभग 24 घंटों के बाद मंगलवार को भी एक मछुआरे ने दावा किया था कि उसने सीसीडी संस्थापक जैसे दिखने वाले एक व्यक्ति को सोमवार शाम उसी पुल से नदी में कूदते देखा था।
लापता होने से दो दिन पहले सिद्धार्थ (60) ने अपने कर्मियों को संबोधित करते एक पत्र में खुलासा किया था कि वे कर्ज में बुरी तरह डूबे हुए थे।
कर्ज इतना ज्यादा था कि कंपनी चलाना मुश्किल हो रहा था। इस कारण उन्हें एक आईटी कंपनी माइंडट्री के अपने शेयर बेचने पड़े थे।
उनके पत्र में लिखा था, “अपनी सर्वश्रेष्ठ कोशिशों के बावजूद, मैं मुनाफे वाला बिजनेस मॉडल बनाने में नाकाम रहा हूं। मैं कहना चाहूंगा कि मैंने अपना सर्वश्रेष्ठ दिया। मुझ पर विश्वास करने वाले सभी लोगों को निराश करने लिए मैं माफी मांगता हूं। मैं बहुत लड़ा लेकिन आज मैं हार मानता हूं, क्योंकि एक प्राइवेट इक्विटी पार्टनर के मुझ पर मेरे शेयर वापस लेने का दवाब और नहीं झेल सका।”
इससे पहले सिद्धार्थ (60) को अंतिम बार जीवित देखने वाले उनके कार चालक बासवराज पाटिल ने मंगलुरू में एक पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज कराया था कि उनके मालिक पुल से लापता हो गए, जहां वह कार से उतरे थे और उसे यह कहकर गए थे कि वह कुछ देर टहलना और कुछ कॉल करना चाहते हैं।
दर्ज शिकायत के अनुसार, “बारिश शुरू होते ही मैं यू-टर्न लेकर कार वहां ले गया जहां मैंने सर को छोड़ा था और उसके आस-पास ढूंढा। अंधेरा होने, तेज हवा चलने और बारिश के कारण मैं उन्हें पुल या नदी में कहीं भी नहीं देख पाया।”
सिद्धार्थ सोमवार दोपहर बेंगलुरू से हसन के निकट सक्लेशपुर के लिए रवाना हुए थे, जहां उनका एक घर है और एक कॉफी का बागान है। चूंकि वे मंगलुरू मार्ग पर थे तो सिद्धार्थ ने सक्लेशपुर में कुछ देर आराम करने के बाद पाटिल को मंगलुरू चलने के लिए कहा।
सिद्धार्थ भाजपा के वरिष्ठ नेता एस.एम. कृष्णा के बड़े दामाद थे। कृष्णा संप्रग-2 (2009-12) में विदेश मंत्री और कांग्रेस कार्यकाल में ही (1999-2004) कर्नाटक के मुख्यमंत्री भी रहे थे।