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अब श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर सियासत गरमाने के आसार

संतो की सबसे बड़ी संस्था अखाड़ा परिषद ने पहले ही इस मुद्दे को लेकर मोर्चा खोल रखा है।

लखनऊ : अयोध्या में रामजन्मभूमि विवाद जीतने के बाद अब मथुरा में कृष्णजन्मभूमि का मामला अदालत पहुंच गया है। सियासत के साथ यह मुद्दा गरमाने के आसार दिख रहे हैं। हालांकि अभी सबकी नजरें अदालत पर टिकी हैं।

संतो की सबसे बड़ी संस्था अखाड़ा परिषद ने पहले ही इस मुद्दे को लेकर मोर्चा खोल रखा है। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने आईएएनएस से बातचीत में कहा कि कृष्ण जन्मभूमि के मुद्दे पर अखाड़ा परिषद की 15 अक्तूबर को वृंदावन में होने वाली बैठक में मथुरा के लिए रणनीति तय की जाएगी। इसमें सभी 13 अखाड़ों के प्रतिनिधि शामिल होंगे। इस बैठक में कृष्ण जन्मभूमि के मुद्दे पर आंदोलन की रूपरेखा तय करने के साथ ही श्रीकृष्ण जन्मस्थान मामले में दायर याचिका में पक्षकार बनने पर भी विचार किया जाएगा।

उन्होंने बताया कि इसमें हमारे महामंत्री हरिगिरी वकीलों से बात करेंगे। यह सभी याचिकाकतार्ओं से बातचीत करेंगे। परिषद को इस याचिका में पक्षकार के तौर पर शामिल करने पर सहमति बन जाएगी तो ठीक, वरना अलग से कोर्ट में याचिका दाखिल की जाएगी।

नरेन्द्र गिरी ने बताया कि विहिप व अन्य हिंदू संगठनों के साथ मिलकर कृष्ण जन्मभूमि के लिए शांतिपूर्ण ढंग से जन जागरण शुरू किया जाएगा। इस मसले को निपटाने के लिए मुस्लिम धर्मगुरूओं से भी बातचीत की जाएगी।

विश्व हिन्दू परिषद के क्षेत्रीय संगठन मंत्री अम्बरीश सिंह ने कहा कि पहली प्राथमिकता रामलला का मंदिर निर्माण है। इसके अलावा हिन्दू समाज के जो भी मुद्दे है उसकी संगठन चिंता करता है। अखाड़ा परिषद अगर कोई बात करेगा तो उस पर शीर्ष नेतृत्व निर्णय लेगा। आम जनमानस की सहभगिता बनेगी। इस पर ट्रस्ट कोई निर्णय लेगा तो देखा जाएगा। कब क्या करेंगे यह तय नहीं है। अभी तो एक लड़ाई में कई वर्षों बाद विजय मिली है। अभी पूरा फोकस वहीं है। जब धर्मस्थान मुक्ति यज्ञ समिति 1984 बनी थी तो तीनों मंदिरों का उल्लेख किया गया था। अभी रामलला मंदिर जब तक बन न जाए तब तक अधूरा नहीं छोड़ा जा सकता।

भाजपा के राज्यसभा सदस्य हरनाथ सिंह यादव ने कहा है कि श्री कृष्ण जन्मभूमि पर अवैध ढंग से कब्जा किया गया था। अब मुस्लिम भाइयों को अपना दिल बड़ा करना चाहिए और वहां से अपना कब्जा हटा लेना चाहिए। उन्होंने इस बयान को अपना निजी बयान बताया।

उधर, शाही मस्जिद ईदगाह कमेटी के अध्यक्ष जाहिर (जेड) हसन ने कहा कि अभी कोई मुकदमे की जरूरत नहीं है। दो इबादतगाहें बुलंदी पर हैं। एक तरफ मस्जिद है दूसरी तरफ मंदिर। दोंनों में प्र्थनाएं होती है जिसकी अवाज एक साथ ईश्वर तक पहुंचती है। हमारे यहां लड़ाई झगड़े की कोई गुंजाईश नहीं है। सन 1968 में समझौता हुआ था। तब आपस में जमीन का बंटवारा हो गया था। तब से मंदिर में पूजा-पाठ और मस्जिद में पांच वक्त की नमाज होती है। मथुरा में गंगा-जमुनी तहजीब है। यहां पर राधाजी की चुनरी मुस्लिम महिलाएं बनाती है। जो पूरे विश्व में विख्यात है। मुद्दे पर पूरी जानकारी लेंगे। लोगों से मशविरा लेंगे। हमें न्यायपालिका पर भी पूरा भरोसा है।

ज्ञात हो कि रामनगरी अयोध्या में भगवान श्रीराम मंदिर निर्माण शुरू होने के साथ ही भगवान श्रीकृष्ण की नगरी मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मस्थान का मामला कोर्ट पहुंच गया है। श्रीकृष्ण विराजमान व सात अन्य की ओर से सिविल जज सीनियर डिवीजन छाया शर्मा की कोर्ट में दायर दावे में यहां श्रीकृष्ण जन्मस्थान की 13.37 एकड़ जमीन का मालिकाना हक देने और शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने की मांग की है। इसके साथ ही मस्जिद समिति और श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान के बीच हुए समझौते को अवैध बताया गया है।

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