हाथरस कांड पर डीयू के शिक्षकों ने मुंह पर पट्टी बांधकर जताया विरोध
प्रदर्शनकारी अध्यापकों ने अपने मुंह पर पट्टी बांधकर प्रशासन के खिलाफ हाथों में तख्ती लेकर धरना-प्रदर्शन किया।
नई दिल्ली : हाथरस में सामूहिक दुष्कर्म का विरोध करते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षकों ने भी न्याय की मांग की है। पीड़िता के लिए न्याय की मांग करते हुए इन शिक्षकों ने अपने मुंह पर पट्टी बांधकर अपना विरोध दर्ज कराया। पीड़िता के लिए न्याय की मांग करने वालों में फोरम ऑफ एकेडेमिक्स फॉर सोशल जस्टिस और दिल्ली यूनिवर्सिटी एससी, एसटी, ओबीसी टीचर्स फोरम के टीचर्स शामिल रहे। दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन ने भी इस प्रदर्शन को अपना समर्थन दिया। कोरोना की वजह से शिक्षकों ने घरों में रहकर पीड़िता के समर्थन में पोस्टर बनाए और विरोध प्रदर्शन किया।
प्रदर्शनकारी अध्यापकों ने अपने मुंह पर पट्टी बांधकर प्रशासन के खिलाफ हाथों में तख्ती लेकर धरना-प्रदर्शन किया। तख्तियों पर स्लोगन लिखे गए थे ‘बेटी को न्याय दो’, ‘हत्यारों को सजा दो’ , ‘सजा दो’, ‘हमें क्या चाहिए न्याय चाहिए’, ‘महिलाओं पर हिंसा नहीं सहेंगे’।
धरने का नेतृत्व दिल्ली यूनिवर्सिटी एससी, एसटी ओबीसी टीचर्स फोरम के अध्यक्ष डॉ. कैलाश प्रकाश सिंह ने किया। प्रदर्शनकारी टीचर्स को संबोधित करते हुए फोरम के चेयरमैन व एकेडमिक काउंसिल के पूर्व सदस्य प्रोफेसर हंसराज सुमन ने कहा, “हाथरस में हुई गैंगरेप की घटना से दहशत का माहौल बना हुआ है। हत्याओं से समाज के लोग खुद को असुरक्षित महसूस करने लगे हैं।”
उन्होंने कहा कि, “हाथरस में 14 सितंबर को उन्नीस साल की युवती के साथ जो हुआ, उसने दिल्ली के निर्भया कांड की याद दिला दी। गांव के चार युवकों ने उसके साथ गैंगरेप किया और उसकी रीढ़ की हड्डी तोड़ने के साथ उसके पूरे शरीर को जख्मी कर दिया। पंद्रह दिनों तक जिंदगी और मौत से जूझने के बाद उसकी मृत्यु हो गई।”
प्रोफेसर सुमन ने हाथरस की अमानवीय व बर्बर घटना में लापरवाही बरतने और समय से एफआईआर दर्ज कर कार्यवाही न करने और उसे समुचित इलाज न दिलाने वाले दोषी अधिकारियों को दंडित करने, महिलाओं के साथ हो रही हिंसा की घटनाओं में तत्काल सरकार से हस्तक्षेप करने की मांग की है।
कैलाश प्रकाश सिंह ने कहा, “जिस तरह से हाथरस की बेटी के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया है, यह दिल्ली के निर्भया कांड की पुनरावृत्ति हुई है।” उन्होंने चिंता व्यक्त की कि जिस तरह से निर्भया के साथ पूरा देश खड़ा हो गया था, उसी तरह से दलित समाज की बेटी को न्याय दिलाने के लिए सामाजिक संगठनों और राजनैतिक पार्टियों के नेता नहीं खड़े हुए।
टीचर्स फोरम के सचिव डॉ. विनय कुमार ने कहा, “सामाजिक संगठनों और राजनैतिक पार्टियों से मांग की जाती है कि वे इस घटना को संज्ञान में लेते हुए सरकार पर दबाव बनाएं कि आगे से किसी भी महिला पर अत्याचार ना हो। लगातार बलात्कार की बढ़ती घटनाओं से महिलाओं में असुरक्षा की भावना बढ़ी है। सरकार उन्हें विश्वास में लेकर सुरक्षा संबंधी उपायों को बेहतर बनाए। पुलिस प्रशासन को दुरुस्त करे, जिससे ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति ना होने पाए।”
हाथरस की इस बेटी के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षकों ने कोरोना के चलते अपने घरों में रहकर मुंह पर पट्टी बांधकर अपना विरोध व्यक्त किया। उन्होंने उत्तर प्रदेश व केंद्र सरकार से मांग की है कि इस मामले में शामिल लोगों को सख्त से सख्त सजा दी जाए। साथ ही पीड़ित परिवार को सुरक्षा उपलब्ध कराई जाए।