पूर्व केंद्रीय गृह और वित्तमंत्री पी. चिदंबरम के लिए तिहाड़ जेल की दमघोंटू बैरक में रात-दिन गुजार पाना उतना आसान नहीं होगा, जितना गृहमंत्री की कुर्सी पर बैठकर इसी तिहाड़ जेल का करोड़ों रुपये का बजट पास कराना आसान था। गुरुवार को शाम ढले जेल की देहरी पर पांव रखते ही उन्हें तिहाड़ जेल की खतरनाक हकीकत से दो-चार करा दिया गया। रुह कंपा देने वाला यह मंजर उनके सामने तब आया जेल के अदना से वार्डर ने उनसे कहा, ‘उल्टे हाथ का अंगूठा स्याही में रंगकर कागज पर लगाओ।’
कागज पर अंगूठा लगाने की प्रक्रिया के दौरान जेल की देहरी (ड्यूढ़ी) पर जेल और सीबीआई की टीम दोनों के अधिकारी मौजूद थे। यही वह वक्त था जब विचाराधीन हाईप्रोफाइल कैदी पी. चिदंबरम को सीबीआई की टीम जेल स्टाफ के हवाले करने संबंधी तमाम कानूनी और कागजाती खानापूर्ति कर रही थी।
कैदी के लेन-देन के वक्त ही जेल स्टाफ पी. चिदंबरम से उनके परिवार वालों के नाम, पते, उम्र, संपर्क इत्यादि का ब्योरा पूछकर जेल-रिकार्ड में दर्ज किया। जेल में उनसे मिलने कौन-कौन आयेगा? उन तमाम संबंधित नामों की तालिका या ब्योरा भी चिदंबरम को जेल में प्रवेश के वक्त ही देना पड़ा।
जेल मैनुअल के मुताबिक, जेल में मौजूद सहायक जेल-अधीक्षक ने मुलजिम यानी पी. चिदंबरम को सीबीआई से प्राप्त किया। इसके बदले में जेल के सहायक अधीक्षक ने बाकायदा सीबीआई टीम को अपने दस्तखत और मुहर लगी मुलजिम प्राप्ति की अधिकृत रसीद सौंप दी। हां इससे ठीक पहले जेल अधिकारियों को सीबीआई टीम ने यह भी बताया कि मुलजिम के खिलाफ किन-किन आरोपों में मामला दर्ज किया गया है? मुजलिम को जेल में भेजने वाली अदालत के आदेश की प्रतिलिपि भी सीबीआई टीम ने जेल प्रशासन के हवाले की।
जेल में पहुंचने के बाद पी. चिदंबरम को अब कब और किस अदालत में पेश किया जाना है? इसका पूरा लिखित ब्योरा भी सीबीआई टीम ने जेल की देहरी पर मौजूद सहायक जेल-अधीक्षक को मुहैया करा दिया। ताकि तय समय तिथि पर आरोपी को जेल प्रशासन अदालत में पेश करने का इंतजाम पहले से ही कर सके।
तिहाड़ जेल महानिदेशालय के ही एक सूत्र ने नाम नहीं जाहिर करने की शर्त पर आईएएनएस को बताया, “चूंकि पी. चिदंबरम की उम्र 70 साल से ऊपर है। लिहाजा ऐसे में जेल पहुंचते ही जेल के चिकित्सक द्वारा उनका मेडिकल चैकअप किया जाएगा। साथ ही संभव है कि मामला हाईप्रोफाइल होने के चलते किसी भी आपात स्थिति के लिए रात भर जेल में चिकित्सक को रोक लिया जाए, ताकि रात में रक्तचाप बगैरह की जांच तुरंत की जा सके।”
इसी जेल सूत्र के मुताबिक, “अमूमन पी. चिंदबरम जैसे हाईप्रोफाइल कैदी जब पहली बार जेल पहुंचते हैं तो उन्हें सबसे ज्यादा शिकायत रक्तचाप की ही अक्सर देखने में आई है। वे पहले से ही जांच एजेंसियों की पूछताछ से थके-हारे होते हैं। रही सही कसर तिहाड़ जेल में पहली बार रात काटने का भय पूरी कर देता है।”
तिहाड़ की 7 नंबर जेल या फिर किसी भी जेल में पहुंचते ही जेल स्टाफ उन्हें सबसे पहले उनकी बैरक में ले जायेगा। हालांकि इस बैरक में यूं तो 10 कैदी तक रहते हैं। चिदंबरम की उम्र और सुरक्षा को देखते हुए इस संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है कि उन्हें बैरक में अकेले ही रख दिया जाए।
घर से सिवाये कपड़ों के विचाराधीन कैदियों को कुछ और मंगाने की इजाजत नहीं होती है। इससे पीसी भी नहीं बच पाएंगे। यानी गुरुवार की रात जेल से मिले प्लास्टिक के बर्तनों में ही जेल की दाल-रोटी-सब्जी-चावल में से कुछ खाना होगा। वे अगर चाहें तो कैंटीन से कुछ खाने को मंगा सकते हैं जोकि जेल मैनुअल के हिसाब से अनुचित नहीं है।
तिहाड़ जेल महानिदेशालय के एक अन्य सूत्र ने नाम नहीं जाहिर करने की शर्त पर कहा, “शुक्रवार की सुबह साढ़े पांच बजे उठकर बाकी कैदियों की तरह पीसी को भी प्रार्थना सभा में शामिल होना पड़ेगा।”
पहली बार जेल में पहुंचे कैदियों को जगाने का क्या इंतजाम होता है? आईएएनएस द्वारा पूछे जाने पर तिहाड़ जेल के एक जेल-अधीक्षक स्तर के अधिकारी ने जबाब देने के बजाय सवाल किया, “जरा सोचिये कि पी. चिदंबरम जैसे हाईप्रोफाइल कैदी को क्या पहली रात तिहाड़ जेल की कोठरी में पहुंचने पर नींद भी आएगी? कब रात आंखों में गुजर कर सुबह हो आई, उसे पता ही नहीं चलेगा..फिर भला ऐसे में पीसी को सुबह जगाने का सवाल ही कहां उठता है?”
उल्लेखनीय है कि पी. चिदंबरम का 16 सितंबर को जन्मदिन भी है। इसे इत्तेफाक कहें या फिर बुरे वक्त का फेर कि चिदंबरम को अपना 74वां जन्मदिन तिहाड़ जेल की कोठरी में मनाना पड़ेगा।