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लॉकडाउन के दौरान धनी ने जरूरत से ज्यादा ग्रोसरी खरीदा

सर्वेक्षण से पता चलता है कि कैसे लोगों ने सरकार की घोषणाओं के बावजूद कि आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति में कोई समस्या नहीं होगी, जरूरत से ज्यादा चीजों को खरीद लिया।

नई दिल्ली : भारत में उच्च आय वर्ग ने कोरोनावायरस महामारी को रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के दौरान किराने का सामान और अन्य जरूरी चीजों को अपनी सामान्य जरूरतों से ज्यादा मात्रा में खरीदा। आईएएनएस-सीवोटर कोविड-19 ट्रैकर सर्वे में इस बात का खुलासा हुआ है। आर्थिक मुद्दों पर कोविड-19 ट्रैकर सर्वे में उल्लेख किया गया है कि उच्च आय वर्ग के 27 प्रतिशत ने कोरोना संकट के बीच कुछ किराने का सामान और जरूरी चीजें साामन्य रूप से जितना खरीदते हैं, उसकी तुलना में ज्यादा खरीदा। समूह में से, 58.5 प्रतिशत ने इन वस्तुओं को सामान्य तौर पर खरीदा जबकि 3.4 प्रतिशत ने सामान्य उपयोगों के मुकाबले कम खरीदा।

सर्वेक्षण से पता चलता है कि कैसे लोगों ने सरकार की घोषणाओं के बावजूद कि आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति में कोई समस्या नहीं होगी, जरूरत से ज्यादा चीजों को खरीद लिया।

उच्च आय वर्ग के बाद मध्य आय वर्ग के 24.4 प्रतिशत लोगों ने घबराहट में आकर उपभोग से ज्यादा चीजों को खरीद कर दूसरे स्थान पर हैं। केवल 47.2 प्रतिशत लोगों ने सामान्य वस्तुओं को खरीदा जबकि 27 प्रतिशत लोगों ने सामान्य से कम खरीदा।

सर्वेक्षण के अनुसार, निम्न आय वर्ग की क्रय क्षमता में हालांकि 42 प्रतिशत की कमी हुई और इस वर्ग के लोगों ने सामान्य से कम किराने का सामान खरीदा। इस वर्ग के 37.5 प्रतिशत लोगों ने इन वस्तुओं को सामान्य तरीके से खरीदा जबकि 16.8 प्रतिशत लोगों ने सामान्य से ज्यादा खरीदा।

आश्चर्यजनक रूप से, 26.5 प्रतिशत उच्च शिक्षित वर्ग के लोगों ने इन सामानों को सामान्य से अधिक खरीदा, इसके बाद कम शिक्षित वर्ग के 20.3 प्रतिशत और मध्यम शिक्षित समूह का 19.4 प्रतिशत लोगों ने खरीदा।

अर्ध-शहरी क्षेत्रों में रहने वाले कम से कम 23.7 प्रतिशत लोगों ने सामान्य से अधिक खरीदारी की जबकि शहरी क्षेत्रों में यह आंकड़ा 20 प्रतिशत और ग्रामीण क्षेत्रों में 17.8 प्रतिशत रहा।

भारत के पूर्वी, दक्षिणी और पश्चिमी हिस्से ने किराने का सामान और सप्लाई सामान्य से अधिक 23.8 प्रतिशत, 22.6 प्रतिशत, 22.5 प्रतिशत के साथ खरीदी, जबकि 14.9 प्रतिशत इसी तरह की श्रेणी देश के उत्तरी भाग में देखी गई।

सामाजिक श्रेणी के अनुसार, 50.9 प्रतिशत ईसाई समुदाय ने सामानों को सामान्य से अधिक खरीदा, इसके बाद 34 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति (एसटी), 22.5 प्रतिशत उच्च जाति के हिंदू (यूसीएच), 21.4 प्रतिशत मुस्लिम, 19.2 प्रतिशत अनुसूचित जाति (एससी), 14 प्रतिशत अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी), 9.2 प्रतिशत सिख और 48.3 प्रतिशत अन्य हैं।

कुछ किराने का सामान खरीदने वाले सामान्य से अधिक लोग 25 वर्ष से कम आयु के 26 प्रतिशत, 25और 45 वर्ष की बीच की आयु के 22.2 प्रतिशत और 45-60 वर्ष के बीच के आयु वर्ग के 19 प्रतिशत लोग थे।

सर्वे के अनुसार, कोरोना के प्रकोप के बाद से 60 और उससे अधिक आयु वर्ग के केवल 11.4 प्रतिशत लोगों ने अधिक किराने का सामान खरीदा।

लैंगिकता के हिसाब से 18.9 प्रतिशत पुरुषों की तुलना में 23 प्रतिशत महिलाओं ने ज्यादा सामान खरीदा।

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