Defence

भारतीय तट रक्षकों की मदद के बाद इंडोनेशिया पहुंची रोहिंग्या नाव

भारतीय तट रक्षकों ने शरणार्थियों को भोजन, पीने का पानी और चिकित्सा सहायता प्रदान की और साथ ही उनकी नाव की मरम्मत की व्यवस्था भी की, लेकिन उन्हें समुद्री तट से दूर मुख्य भूमि पर नहीं जाने दिया गया।

कोलकाता : बांग्लादेश के तटीय क्षेत्र कॉक्स बाजार से रवाना होने के 100 से अधिक दिनों के बाद, 81 मुस्लिम रोहिंग्या शरणार्थी इंडोनेशिया के आचेह पहुंच गए हैं।

बांग्लादेश से रवाना होने के एक हफ्ते बाद 18 फरवरी को उनकी नाव (बड़ी नौका) में गंभीर तकनीकी खराबी आने के बाद वे अंडमान द्वीप समूह में फंसे हुए थे।

भारतीय तट रक्षकों ने शरणार्थियों को भोजन, पीने का पानी और चिकित्सा सहायता प्रदान की और साथ ही उनकी नाव की मरम्मत की व्यवस्था भी की, लेकिन उन्हें समुद्री तट से दूर मुख्य भूमि पर नहीं जाने दिया गया।

भारत ने इन शरणार्थियों को वापस बुलाने के लिए बांग्लादेश के साथ बातचीत करने की कोशिश की, लेकिन चूंकि बांग्लादेश ने उन्हें वापस लेने से इनकार कर दिया, अंडमान के अधिकारियों ने चुपचाप मरम्मत कार्यों की अनुमति दी और रोहिंग्याओं की देखभाल की।

30 मई को नाव आखिरकार तैयार हो गई और उसी दोपहर को रवाना भी हो गई। इसके बाद अब शुक्रवार को यह इंडोनेशिया के आचेह प्रांत पहुंच गई है। शरणार्थियों के परिवारों को नौका के मालिक की ओर से इंडोनेशियाई क्षेत्र में उनके सुरक्षित आगमन के बारे में सूचित कर दिया गया है।

समुद्र में फंसे रोहिंग्याओं के बचाव और राहत कार्यों को संभालने वाले समूह का हिस्सा रहे अंडमान के एक सूत्र ने कहा, यह निकटतम दक्षिण पूर्व एशियाई क्षेत्र था, जहां नाव पहुंच सकती थी, क्योंकि चालक दल को यकीन नहीं था कि वे कितनी दूर जा सकते हैं।

नाव के ठिकाने का खुलासा होने से बचने के लिए भारतीय तट रक्षकों द्वारा रोहिंग्या नाव का सैटेलाइट फोन ले लिया गया था।

दक्षिण पूर्व एशिया की यात्रा के एक सप्ताह के दौरान 18 फरवरी को नौका के इंजन में खराबी आने के बाद से 90 रोहिंग्याओं (65 महिलाएं, 20 पुरुष और 5 नाबालिग) में से लगभग आठ दस्त और निर्जलीकरण (डिहाइड्रेशन) की वजह से मर चुके थे।

81 रोहिंग्या, जिनमें ज्यादातर महिलाएं थीं, बांग्लादेश के तीन चालक दल के सदस्यों के साथ नाव पर थे, जब अधिकार कार्यकर्ताओं (राइट एक्टिविस्ट) का नाव से संपर्क टूट गया था। बचे लोगों ने संपर्क टूटने से पहले नाव पर आठ लोगों की मौत की पुष्टि की थी।

लोगों के अधिकारों के लिए काम करने वाले एक्टिविस्ट समूह ने तत्काल राहत प्रदान करने के लिए भारतीय तट रक्षकों को धन्यवाद दिया है।

थाईलैंड के एक मानवाधिकार कार्यकर्ता ने कहा, यह जानकर अच्छा लगा कि भारतीय तट रक्षकों द्वारा नाव को बचाए जाने के बाद उसमें सवार किसी की मौत नहीं हुई।

एक्टिविस्ट ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, दिल्ली ने शायद रोहिंग्याओं के साथ बांग्लादेश में नाव की वापसी के लिए बातचीत करने की कोशिश की, लेकिन जब ढाका ने इनकार कर दिया, तो उन्होंने शरणार्थियों की देखभाल की और उन्हें दक्षिण पूर्व एशिया में जाने की अनुमति दी।

संयुक्त राष्ट्र ने भी फरवरी में भारत से मानवीय आधार पर शरणार्थियों की देखभाल करने का अनुरोध किया था।

भारतीय अधिकारियों ने पुष्टि की कि नाव पर सवार 47 रोहिंग्याओं के पास यूएनएचआरसी द्वारा जारी शरणार्थी कार्ड बांग्लादेश में दिए गए थे।

भारत द्वारा रोहिंग्याओं को म्यांमार को सौंपे जाने की संभावनाओं से चिंतित मानवाधिकार एक्टिविस्ट ने शुक्रवार को कहा कि उन्हें राहत मिली है कि नाव आचेह पहुंच गई है।

रोहिंग्या शरणार्थियों को ले जाने वाली नावें नियमित रूप से भारत के अंडमान द्वीप के पास से होकर गुजरती रहती हैं।

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