भारत और चीन कोरोना के कारण धन के क्षरण से अछूते रहे
क्रेडिट सुइस ग्लोबल वेल्थ रिपोर्ट 2020 के अनुसार, शेष बचे 2020 और 2021 में भी मजबूत वृद्धि होने की उम्मीद है।
नई दिल्ली : भारत और चीन दो ऐसे प्रमुख देश हैं, जो कोविड-19 महामारी के कारण धन के क्षरण (इरोशन) से अछूते रहे हैं।
भारत में एक वयस्क की धन (वेल्थ) के मामले में प्रति वर्ष औसत दर्जे की (मॉडरेट) विकास दर 2019 के अंत में 17,300 डॉलर थी, जिसमें महामारी के बावजूद वृद्धि दर्ज हुई है और यह जून 2020 के अंत में 17,420 डॉलर पर पहुंच गई है।
क्रेडिट सुइस ग्लोबल वेल्थ रिपोर्ट 2020 के अनुसार, इस दर में शेष बचे 2020 और 2021 में भी मजबूत वृद्धि होने की उम्मीद है।
रिपोर्ट में कहा गया है, भारत में औसत वेल्थ 2020 की पहली छमाही में केवल 0.7 प्रतिशत बढ़ी। हम अनुमान लगा रहे हैं कि 2020 के लिए पूर्ण वृद्धि पांच से छह प्रतिशत होगी और 2021 में लगभग नौ प्रतिशत की वृद्धि होगी।
क्रेडिट सुइस ग्रुप में निदेशक मंडल के अध्यक्ष उर्स रोहनर ने रिपोर्ट में बताया है, सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र लैटिन अमेरिका रहा, जहां कुल वेल्थ में 12.8 प्रतिशत की गिरावट आई और महामारी ने उत्तरी अमेरिका में अपेक्षित विकास को खत्म कर दिया। चीन और भारत को छोड़कर अन्य क्षेत्र में नुकसान देखने को मिला है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि जनवरी से मार्च के बीच दुनिया में कुल घरेलू वेल्थ 17.5 खरब डॉलर घट गई है।
रोहनर ने कहा कि मार्च के बाद से शेयर बाजारों में तेजी आई है। वर्ष 2020 की दूसरी तिमाही के लिए उपलब्ध आंकड़ों से पता चलता है कि घरेलू वेल्थ पिछले साल के अंत में लगभग रिकवर हुई है।
उन्होंने कहा कि कुछ समय के लिए कम आर्थिक विकास और कॉपोर्रेट एवं उपभोक्ता व्यवहार में बदलाव के परिणामस्वरूप न केवल उत्पादन कम हुआ होगा, बल्कि निर्थक सुविधाओं के साथ-साथ क्षेत्रीय परिवर्तन भी होंगे, जो कई वर्षों तक घरेलू धन संचय को रोक सकते हैं। रोहन ने कहा, इस प्रकार हमारे लेखकों का मानना ??है कि घरेलू वेल्थ 2021 के दौरान महामारी से धीरे-धीरे उबर जाएगी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में धन की असमानता काफी अधिक है।