देश के किसानों और प्याज के निर्यातकों के लिए अच्छी खबर है कि वे अब 15 मार्च से देश से प्याज निर्यात कर सकेंगे। विदेश व्यापार महानिदेशालय द्वारा सोमवार को जारी एक अधिसूचना के अनुसार, सरकार ने 15 मार्च से प्याज निर्यात की अनुमति दी है। साथ ही, न्यूनतम निर्यात मूल्य की शर्त भी समाप्त कर दी गई है।
अधिसूचना में बताया गया कि नियमों में बदलाव के साथ प्याज की सभी किस्मों को मौजूदा ‘निषिद्ध’ श्रेणी से निकालकर ‘मुक्त’ श्रेणी में डाल दिया गया है। इसके बाद अब प्याज निर्यात पर 15 मार्च से प्रतिबंध समाप्त हो जाएगा। साथ ही, प्याज निर्यात के लिए कोई लेटर ऑफ क्रेडिट या न्यूनतम निर्यात मूल्य की शर्त भी नहीं होगी।
केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने एक ट्वीट में कहा, “प्याज निर्यात के लिए 15 मार्च से दी गई अनुमति किसानों के कल्याण की दिशा में उठाया गया कदम है। इस फैसले से किसानों की आय बढ़ाने में मदद मिलेगी।”
हालांकि प्याज निर्यात पर प्रतिबंध हटाने संबंधी सरकार के फैसले की जानकारी पिछले ही सप्ताह केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री रामविलास पासवान ने एक ट्वीट के जरिए दे दी थी।
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में प्याज को लेकर गठित मंत्रिसमूह की पिछले सप्ताह हुई बैठक में इस संबंध में लिए गए फैसले के बाद पासवान ने बुधवार को एक ट्वीट में बताया, “देश में प्याज की बंपर फसल और बाजार में प्याज की स्थिर कीमतों को देखते हुए सरकार ने प्याज के निर्यात पर लगी रोक को हटाने का फैसला किया है। पिछले साल मार्च महीने में 28.4 लाख टन के मुकाबले, इस साल मार्च में प्याज की पैदावार लगभग 40 लाख टन होने का अनुमान है।”
पिछले साल सितंबर के आखिर में केंद्र सरकार ने प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसके साथ-साथ सरकार ने प्याज का न्यूनतम निर्यात मूल्य 850 डॉलर प्रति टन तय कर दिया था।
पिछले साल मानसून सीजन और उसके बाद देश के विभिन्न इलाकों में भारी बारिश होने और बाढ़ आने के कारण प्रमुख उत्पादक राज्यों में प्याज की फसल खराब हो गई थी जिसके कारण कीमत में बेहद इजाफा हो गया। प्याज के दाम को काबू में रखने के लिए सरकार ने प्याज के निर्यात पर रोक लगाने के साथ-साथ देश में इसकी उपलब्धता बढ़ाने के लिए एक लाख टन प्याज आयात करने का फैसला लिया था। सरकार ने इसमें से करीब 36 हजार टन प्याज का आयात भी किया लेकिन दाम में गिरावट तब आई जब घरेलू आवक में सुधार हुआ।